इतना तो ज़िंदगी में किसी की ख़लल पड़े... हँसने से हो सुकून ना रोने से कल पड़े... जिस तरह हंस रहा हूं मैं पी-पी के अश्क-ए-ग़म... यूं दूसरा हंसे तो कलेजा निकल पड़े... कोई ये कैसे बताये के वो तन्हा क्यों हैं.... वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों हैं.... तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो.... क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो........ उपर लिखी यह चंद पंक्तियां किसी और की नहीं बल्कि उर्दू के अज़ीम शायर और हिंदी के जाने-माने कवि, प्रसिद्ध गीतकार एवं गज़लकार "कैफ़ी आज़मी" साहब की है। आज कैफ़ी आज़मी साहब का जन्मदिन है। ख्यातिलब्ध शख्सियत के धनी शायर कैफ़ी आज़मी साहब ने ऐसे हजारो कालजई गीत और गज़ल लिखें है की आज भी हम सब उन्हे भुला नही सकते ना ही आने वाला दौर ही उन्हे भूला पाएगा ! उर्दू के अज़ीम महबूब शायर एवम हिंदी के मासूम गीतकार, मेरी कलम की प्रेरणा कैफ़ी साहब को आज उनके जन्मदिन पर दिल की गहराई से मेरा विनयवत प्रणाम् ! 💐💐💐💐💐💐 कलम से : भारद्वाज अर्चिता 14/01/2019
इतना तो ज़िंदगी में किसी की ख़लल पड़े...
हँसने से हो सुकून ना रोने से कल पड़े...
जिस तरह हंस रहा हूं मैं पी-पी के अश्क-ए-ग़म...
यूं दूसरा हंसे तो कलेजा निकल पड़े...
कोई ये कैसे बताये के वो तन्हा क्यों हैं....
वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों हैं....
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो....
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो........
उपर लिखी यह चंद पंक्तियां किसी और की नहीं बल्कि उर्दू के अज़ीम शायर और हिंदी के जाने-माने कवि, प्रसिद्ध गीतकार एवं गज़लकार "कैफ़ी आज़मी" साहब की है। आज कैफ़ी आज़मी साहब का जन्मदिन है। ख्यातिलब्ध शख्सियत के धनी शायर कैफ़ी आज़मी साहब ने ऐसे हजारो कालजई गीत और गज़ल लिखें है की आज भी हम सब उन्हे भुला नही सकते ना ही आने वाला दौर ही उन्हे भूला पाएगा !
उर्दू के अज़ीम महबूब शायर एवम हिंदी के मासूम गीतकार, मेरी कलम की प्रेरणा कैफ़ी साहब को आज उनके जन्मदिन पर दिल की गहराई से मेरा विनयवत प्रणाम् !
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
14/01/2019
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