तो आखिर तुमने पैकअप कर ही लिया ??
तो आखिर तुमने पैकअप कर ही लिया
नही मानोगे ?
तो ˈमै मान लूँ अब कि :
फ़ाइनली” finally” मुझे छोड़ कर
तुम आज चले जा रहे हो ??
अब और नही रूकोगे ना ??
सुनो : जा तो रहे हो
पर क्या ! पैकअप करते वक्त
तुमने गिना है की :
तुमने अपने जर्नी बैग मे
मेरे हिस्से की ! कितनी यादें, कितने राज,
कितने आंसू, कितने मेरे टूटे सपने
पैक कर लिए है ??
सुनो ! मै बोलती कम हूँ,
सुनो ! मुझे ! अपनी बात
कहने भी नही आती,
पर इसका मतलब यह तो नही कि :
जब कोई मेरा अपना :
मुझे अकेला करके, मुझे छोड़ करके
मुझसे हमेशा के लिए दूर जाने लगे तो :
मेरे भीतर कोई टीस,
मेरे भीतर कोई दर्द नही होता,
किसी अपने के जाने का
किसी अपने के बिछडने का
दर्द मुझे भी बहुत गहरे तक होता है
आखिर यही दर्द तो है जो
मेरी भावना के साथ मिलकर
मेरी कविता बनता है अर्ची !
वर्ष 2018 तुम्हारे साथ जब
कुल 12 माह का साथ रहा है मेरा
तो : तुमसे प्यार हो जाना,
तुमसे जुडाव हो जाना,
तुमसे लगाव हो जाना, बहुत लाजमी है
बारह माह ! 12 सौ से भी ज्यादे मेरे सपने
कुछ टूटते - बिखरते सपने,
कुछ सच होते सपने,
कुछ :तिरस्कार - अभाव की
भेंट चढ़ गए सपने,
सबकी यादें आज मेरी कविता मे समा रही है
तुमसे यह कहते हुए :
हैप्पी जर्नी वर्ष 2018,
सुनो मन पर नही लेना मेरे यह शब्द
क्या है कि ! मै
गुड बाय नही बोल सकती तुम्हे
कलम की चितेरा हूँ मै ! जानती हूँ मै :
मेरे कविता संसार में अतीत की यादें
क्या महत्व रखती है ???
जानती हूँ मै ! कविता मे कभी किसी को
आखिरी विदाई नही दी जाती
क्योंकि कविता ! यादो की नीव पर
नवीन - नव जीवन, नवीन - नव सृजन,
नवीन नव वर्ष के आरम्भ का
दूसरा बदला हुआ नाम है अर्ची
जादू जैसा बदला हुआ नाम !!!
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
31/12/2018
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