देश मे शोषितो की समस्याओ के निवारण हेतु आरक्षण नही शोषित वर्ग को शिक्षित करने के हिमायती थे डा० भीम राव आम्बेडकर जी
देश मे शोषितो की समस्याओं के निवारण हेतु आरक्षण नही शोषित वर्ग को शिक्षित करने के हिमायती थे डा० भीम राव आम्बेडकर जी :
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नौकरी और लेखन दोनो एक साथ बेहद ही कठिन कार्य है पर कुछ गुण प्रकृति स्वयं आपको प्रदान करती है और उस प्रकृति प्रदत्त गुण से भागना हमारे आपके लिए सम्भव नही हो पाता कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी है, दो - चार दिन से सोच रही थी 6 दिसम्बर को डा०भीम राव आम्बेडकर जी की पुण्यतिथि पर अपनी कलम से अपने पाठकों को कुछ नया दूँगी पर इन दो - चार दिनो मे ऑफिस के काम की व्यस्तता के चलते ऐसा लगने लगा यह सम्भव न होगा,पर लेखन का कीडा देर रात तक जग कर टुकडा टुकडा एक एक टुकडा कुछ नया तैयार करने को मजबूर कर दिया और मैने कुछ नया लिख ही लिया, यह और बात है कि आज साम 8.30 बजे ऑफिस से घर आने के बाद इन टुकडो को एक नए रूप मे आपके सामने रख पाने की जद्दोजहद कर रही हूँ इस उम्मीद के साथ की आप पाठको को डा० आम्बेडकर के जीवन का यह नया पहलू पसंद आएगा एवम पठनीय लगेगा यथा :
भारतीय संविधान निर्माण के साथ ही डा० भीमराव रामजी आम्बेडकर ने देश हित, समाज कल्याण के दृष्टिकोण से बहुत सारी पुस्तकें व रचनाएँ भी किया, डा० आम्बेडकर जी द्वारा लिखित बहुत सारी चर्चित किताबें व रचनाएँ है मैने सोचा कि अर्ची बाबा साहब को भारतीय संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप मे, देश के कानून निर्माता के रूप मे, देश के प्रथम कानून एवम न्यायमंत्री के रूप में, तो पूरी दुनिया जानती और याद करती है क्यो न मै इन सबसे इतर, इन सबसे अलग हटकर बाबा साहब के जीवन मूल्यो पर आधारित उस पहलू पर कुछ नया दुनिया को बताऊँ आज अपनी कलम से जिससे शायद दुनिया परिचित नही है, अपनी इसी कोशिश के अंतर्गत मैने डा०आम्बेडकर की उस सोच पर खुद को केन्द्रित किया जिसमे बाबा साहब ने येवरदा जेल मे बन्द महात्मा गांधी के साथ “24 सितम्बर 1932 पूना पैक्ट समझौता” के बाद भारत के साथ - साथ दुनिया भर के शोषित वर्ग को यह सन्देश दिया कि : “शोषितो की समस्याओ के निवारण हेतु शोषित वर्ग को शिक्षित होना होगा” इस शिक्षा को नयी राह देने के लिए डा० आम्बेडकर जी ने उच्चकोटि का लेखन कार्य भी किया है आज 6 दिसम्बर को बाबा साहब की पुण्यतिथि पर उनकी रचनाओ का जिक्र करते हुए उनकी रचना धर्मिता पर प्रकाश डालना कही अधिक उचित है मेरे लिए !
जिन्होने भारतीय अर्थ व्यवस्था, आर्थिक नियोजन एवम सर्वजन सुलभ आदर्श शिक्षा व्यवस्था, के साथ साथ भारत मे सुंदर, सुदृढ़, निरपेक्ष, निष्पक्ष, राजनीति एवं प्रशासन व्यवस्था की वकालत किया है ! वह डा०भीमराव आम्बेडकर प्रतिभाशाली एवं जुंझारू लेखक भी थे। 32 किताबें और मोनोग्राफ, 22 पूर्ण तथा 10 अधूरी किताबें), 10 ज्ञापन, साक्ष्य और वक्तव्य, 10 अनुसंधान दस्तावेज, लेखों और पुस्तकों की समीक्षा एवं 10 प्रस्तावना इतनी सारी उनकी अंग्रेजी भाषा की रचनाएँ हैं। डा० आम्बेडकर को स्वयम 11 भाषाओं का ज्ञान था, जिसमें मराठी मातृभाषा, अंग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत, गुजराती, जर्मन, फारसी, फ्रेंच, कन्नड और बंगाली भाषाएँ शामील रही ।डा० आम्बेडकर ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक एवम सबसे उच्चकोटि का लेखन कार्य किया हैं।
उन्होंने अधिकांश लेखन अंग्रेजी में किया हैं। सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के बाद भी उनके द्वारा रचित अनेकों किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का बड़ा संग्रह भी उन्होने हमे दिया है ! वे असामान्य प्रतिभा के धनी थे उनके साहित्यिक रचनाओं को उनके विशिष्ट सामाजिक दृष्टिकोण, और विद्वता के लिए जाना जाता है, जिनमें उनकी दूरदृष्टि और अपने समय के आगे की सोच की झलक मिलती है।मुझे ल डा० आम्बेडकर के ग्रंथ भारत सहित पुरे विश्व में बहुत पढे जाते है। भगवान बुद्ध और उनका धम्म यह उनका ग्रंथ 'भारतीय बौद्धों का धर्मग्रंथ' है तथा बौद्ध देशों में महत्वपूर्ण है। उनके डि.एस.सी.प्रबंध “द प्रॉब्लम ऑफ द रूपीज” “इट्स ओरिजिन ॲन्ड इट्स सोल्युशन” से भारत के केन्द्रिय बैंक यानी भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना हुई है !
महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग ने डा०आंबेडकर के सम्पूर्ण साहित्य को कई खण्डों में प्रकाशित करने की योजना बनायी है। जिसके अन्तर्गत अभी तक ‘डॉ॰ आम्बेडकर राइटिंग्स एण्ड स्पीचेज’ नाम से 22 खण्ड अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किये जा चुके हैं, और इनकी पृष्ठ संख्या 15 हजार से भी अधिक हैं। इस वृहत योजना के पहले खण्ड का प्रकाशन आम्बेडकर के जन्म दिवस 14 अप्रैल, 1979 को हुआ। आम्बेडकर जी की अपनी शैक्षणिक योग्यता जितनी सुदृढ़ थी वह चाहते थे हमारे भारतीय समाज के शोषित उपेक्षित वर्ग की शैक्षणिक योग्यता भी उतनी ही सुदृढ़ हो एवम देश के हर वर्ग के सहयोग से, हस्तक्षेप से, एक सुदृढ़, शिक्षित, सशक्त, भारत का निर्माण हो जिसमे न कोई वर्गभेद हो, न जातिभेद हो, न तिरस्कार हो, न क्षोभ हो, न आपसी द्वेस हो !
मुंबई विश्वविद्यालय से बी॰ए॰ करने के बाद कोलंबिया विश्वविद्यालय से एम॰ए॰, पीएच॰डी॰, एलएल॰डी॰ फिर लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स एमएस॰सी॰,डीएस॰सी॰ और ग्रेजुएट इन (बैरिस्टर-एट-लॉ) करने के बाद डा० आम्बेडकर ने अपना कार्य एक वकील, एक प्रोफेसर के रूप मे आरम्भ किया डा०आम्बेडकर जानते थे आजादी के बाद हमारे देश मे न्याय एवम शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किए बिना इस देश का कल्याण सम्भव न होगा ! अपने इसी विजन के चलते वह विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, मानोवविज्ञानी, इतिहासविद् होने के बावजूद एक लेखक एवम एक श्रेष्ठ शिक्षाविद् के रूप मे हम भारतीय जन मानस मे सदैव अपने कार्यो के लिए मूर्त रूप मे उपस्थित रहेगे ! एक शिक्षाविद् को ही यह दुनिया इतना सम्मान दे सकती है की उसे सहेजना भारी होने लगे डा० आम्बेडकर जी को दुनिया ने अनेक सम्मान देकर उनके विजन का आदर किया है जिनमे से कुछ एक
बोधिसत्व सम्मान 1956, भारत रत्न 1990, कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाईम 2004, द ग्रेटेस्ट इंडियन 2012
एक शिक्षाविद् के रूप मे आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे और आजाद भारत का उज्जवल भविष्य भी उन्होने शिक्षा व्यवस्था की सुदृढ़ता के साथ ही देखा था ! देश रत्न आज तुम्हारी पुण्यतिथि पर तुम्हे देश की इस बेटी का कोटि कोटि प्रणाम सहित श्रद्धांजलि !
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
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