जब सबने ही इसपर कुछ का कुछ लिखा तो पता नहीं मैं ऐसा क्यों लिख रही हूँ। विस्तार से भी ज़रूर लिखूँगी लेकिन तब तक कहीं फ़िल्म हट न जाये। आप में से जिन्होंने नहीं देखी, हटने से पहले एक बार ज़रूर देखें। मैं भी डर-डर कर ही गयी थी पर लगा कि इधर अरसे बाद एक अच्छी फ़िल्म देखी जिसमें मनोरंजन तो था ही, उससे अलग भी कुछ मौजूद था जो दरअसल मुझे ख़ास लगा। हालाँकि वह ख़ास तो सबकी अपनी अपनी समझ और पसंद पर निर्भर करेगा। 'ज़ीरो' अच्छी लगी। अभिनय की दृष्टि से भी, कथानक की दृष्टि से भी, मनोरंजन की दृष्टि से भी और वर्चुअल दुनिया के मायाजाल को चुनौती देती मानवीय भावनाओं की प्रबलता की दृष्टि से भी। आप इसे बिना डर देख सकते हैं 🙂
जब सबने ही इसपर कुछ का कुछ लिखा तो पता नहीं मैं ऐसा क्यों लिख रही हूँ। विस्तार से भी ज़रूर लिखूँगी लेकिन तब तक कहीं फ़िल्म हट न जाये। आप में से जिन्होंने नहीं देखी, हटने से पहले एक बार ज़रूर देखें।
मैं भी डर-डर कर ही गयी थी पर लगा कि इधर अरसे बाद एक अच्छी फ़िल्म देखी जिसमें मनोरंजन तो था ही, उससे अलग भी कुछ मौजूद था जो दरअसल मुझे ख़ास लगा। हालाँकि वह ख़ास तो सबकी अपनी अपनी समझ और पसंद पर निर्भर करेगा।
'ज़ीरो' अच्छी लगी।
अभिनय की दृष्टि से भी, कथानक की दृष्टि से भी, मनोरंजन की दृष्टि से भी और वर्चुअल दुनिया के मायाजाल को चुनौती देती मानवीय भावनाओं की प्रबलता की दृष्टि से भी।
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