नौसेना_दिवस 4 दिसम्बर पर विशेष :

पीएनएस #गाजी को पाकिस्तान ने अमेरिका से लीज पर लिया था। उस समय गाजी का जवाब दक्षिण एशिया में किसी देश के पास नहीं था। उसके अलावा वह इकलौती पनडुब्बी थी जिसके अंदर बंगाल की खाड़ी तक पहुंचने के लिए 11000 समुद्री मील दूरी तय करनी की क्षमता थी। 1971 #भारत_पाक_युद्ध के दौरान पाकिस्तान की ओर से गाजी को भेजा गया था कि भारतीय नौसेना के विमानवाहक जहाज #आईएनएस_विक्रांत को खोजकर तबाह करे लेकिन इस चक्कर में गाजी खुद तबाह हो गई। ये भारत के लिए सबसे बड़ी कामयाबी और पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी तबाही थी। 

1971 का साल पाकिस्तान के इतिहास में शायद सबसे दुर्भाग्यपूर्ण साल है। यह वही साल था जब पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और बांग्लादेश का जन्म हुआ। इसी साल पाकिस्तान के करीब 90 हजार सैनिकों को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा। इतनी बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण अपने आप में इतिहास है। वैसे तो 1971 के युद्ध में भारतीय सेना के तीनों अंगों ने जबर्दस्त काम किया  लेकिन भारतीय नौसेना का काम काफी उल्लेखनीय था। भारतीय वायु सेना और भारतीय थल सेना ने दुश्मन के सैनिकों को रोकने का काम किया। दूसरी तरफ भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के पूर्वी और पश्चिमी बंदरगाह वाले रास्तों को बंद कर दिया।

#भारतीय_नौसेना के इस मिशन का नाम #ऑपरेशन_ट्राइडेंट था। इस मिशन के तहत भारतीय नौसेना के मिसाइल युक्त पोतों ने कराची पोर्ट पर हमला किया। कराची पोर्ट की अहमियत को देखकर इसे निशाने पर लिया गया था। कराची पोर्ट एक तरफ पाकिस्तानी नौसेना का मुख्यालय था और दूसरी ओर पाकिस्तान का तेल भंडार भी वहां था। भारतीय नौसेना ने कई बाधाओं का सामना करते हुए इस मिशन को अंजाम दिया था। एक तो भारतीय नौसेना के रेडार की रेंज बहुत सीमित थी, दूसरी ओर उसकी ईंधन क्षमता भी बहुत कम थी लेकिन भारतीय नौसेना साहस और उत्कृष्टता का प्रदर्शन करते हुए मिसाइल फिट पोतों को कराची पोर्ट के बिल्कुल करीब ले गई ताकि पूरी क्षमता से हमला कर सके। भारतीय नौसेना ने एक ही रात में पाकिस्तान के तीन जलपोतों को तबाह कर दिया था। इससे पाकिस्तान की कमर टूट गयी।

#नौसेना_दिवस

🇮🇳️जय हिन्द🇮🇳️

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