16 दिसंबर 1971 विजय दिवस

युद्ध हमेशा सभ्यता पर एक बडा प्रश्नचिह्न होता है अर्चिता ! किसी भी राष्ट्र के लिए युद्ध लडना और युद्ध का समर्थन करना कभी शान्ति का प्रतीक नही माना जाना चाहिए, ना ही मै चाहती हूँ मेरा राष्ट्र कभी किसी युद्ध का वाहक बने, किन्तु कभी - कभी मानव हितो के लिए, आवाम की अमनो चैन के लिए, मानव जीवन पर आए संकट को दूर करने के लिए, मानव जीवन मे शान्ति बहाली के लिए एवम मनुष्य मात्र के साथ न्याय करने के लिए युद्ध अनिवार्य हो जाता है ! ऐसा ही एक युद्ध भारत ने अपने पडोसी मुल्क पाकिस्तान से वर्ष 1971 मे लडा वजह थी : पाकिस्तान द्वारा पाकिस्तान के ही भूभाग पर पूर्वी पाकिस्तान के उसके अपने ही लोगो पर बरपाई गयी बर्बरता से निर्दोष पूर्वी पाकिस्तानी जनता को मुक्त कराने के लिए !
मित्रो 16 दिसंबर 1971 भारतीय इतिहास के पन्नों में दर्ज़ यह  वो तारीख़ है जब हमारी जांबाज भारतीय सेना ने विश्व का मानचित्र बदल कर रख दिया था ! आज ही के दिन हमारी सेना के शौर्य और पराक्रम के आगे पडोसी मुल्क पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण किया था और पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश केे रूप में आज़ादी मिली थी।
दुनिया के मानचित्र पर बाग्लादेश के नाम से जो देश उभरा उसके उभरने के पीछे केवल मनुष्य को बर्बरता की दासता से मुक्त कराना ही केन्द्र मे रखा था भारत ने !
यह विजय दिवस माँ भारती के उस हर एक वीर सैनिक को समर्पित है जिसके अदम्य साहस व समर्पण से हम सब सुरक्षित है, इंसानियत ज़िंदा है, हमारे देश मे अमन - चैन बहाल है और हमे अपने राष्ट्र पर गौरव करने का हक प्राप्त हैं, हमारे देश की सीमाएं , हमारा देश सुरक्षित है ।
राष्ट्रसेवा में समर्पित वीर भारतीय सैनिकों को मेरा कोटि कोटि प्रणाम् , शत शत नमन, !
हमारे देश के सैनिको, जवानो के साथ साथ हमारे समस्त देशवासियों को आज गौरवमयी "विजय दिवस" की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं।
जय जवान , जय हिन्दुस्तान, जय “विजय दिवस” ।
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कलम से:
भारद्वाज अर्चिता
16/12/2018

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