सनातनी परंपरा एवं आयुर्वेद के अनुसार सौंदर्य से स्वास्थ्य तक हमारे जीवन में केले के पौधे की उपयोगिता

वर्तमान समय में भारत में बढ़ते सर्वाधिक शुगर एवं कैंसर के मरीजों की संख्या को देखते हुए अचानक मेरा मन प्रकृति की ओर खिंचा चला गया मुझे लगा जिस देश में प्राचीन काल से प्रकृति और मानव का अटूट रिश्ता रहा है, पूजा - पाठ, तीज - त्यौहार, व्रत, खान-पान, शयन,बनाव, श्रृंगार, सबका वृक्षों के साथ उनके जड़, तने, एवं पत्तों से स्वास्थ, भावनात्मक नाता रहा है, अचानक उस देश में वृक्षों के प्रति उदासीनता क्यों बढ़ने लगी ? खासकर उन वृक्षों के प्रति जिनका हमारे स्वास्थ्य एवं हमारी सेहत पर गहरा प्रभाव था ?
मात्र बीते पिछले दो दशक में मैंने पाया भारत में शुगर एवं कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या संपूर्ण विश्व की तुलना में सर्वाधिक है ! केवल संख्या ही नहीं सर्वाधिक है वरन भारत में 30 से 40 की उम्र के भीतर के युवाओं में यह समस्या सर्वाधिक बढ़ रही है, द्रुतगति से होती पेड़ों की कटाई,तयार होते कंकरीट के जंगल,बढ़ती पॉल्यूशन, एवं हमारी अनियमित दिनचर्या मेरी नजर में सबसे बड़ी वजह है वर्तमान भारत के युवाओं में बढ़ती असाध्य बीमारियों के पीछे, !
2 दिन पहले मैंने प्राचीन काल से चले आ रहे पत्तलों पर खाना परोसे जाने की परंपरा पर चर्चा करते हुए भारत में प्राचीन काल में अलग-अलग 2000 पेड़ों की पत्तियों द्वारा बनाए जाने वाले पत्तलों का जिक्र किया एवं हमारे स्वास्थ  पर उनके वैज्ञानिक एवं आयुर्वेदिक प्रभाव का भी जिक्र किया था , इस सिलसिले में जब मैंने आगे कुछ और तलाश ना चाहा तो मैं कुछ आयुर्वेद विशेषज्ञों से मिली, शुगर, कैंसर की बीमारी में केले के पत्ते की उपयोगिता एवं फायदे पर चर्चा किया !
सेहत से सौंदर्य तक हमारे जीवन में केले के पौधे एवं पत्तों की उपयोगिता के जो पहलू,स्वस्थ पहलू, उभर कर सामने आए वह इस प्रकार है :
केले के पत्ते के असंख्य अनगिनत लाभ है जो आपको रखेगें स्वस्थ, एवं उर्जावान, केला तो हम सभी ने खाया है केला स्वास्थ्य के लिए काफी लाभ दायक भी है। हमने अक्सर देखा है कि : अधिकतर लोग केला खाना पसंद करते है, किंतु हमें यह नहीं पता है कि कितना लाभकारी प्रभाव/असर  पड़ता है केले के पत्तों का हमारे स्वस्थ्य एवं हमारे जीवन पर? दक्षिण भारत में तो आज भी केले के पत्तों पर ही खाना खाया जाता है।
आयुर्वेद में केले के पत्त्ते पर खाना खाना स्वास्थ्यप्रद माना गया है। प्राचीन काल से आयुर्वेद में माना गया है कि : केले के पत्ते पर गर्म खाना परोसने से पत्ते में मौजूद पोषक तत्व भी खाने में मिल जाते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। माना जाता है कि केले के पत्ते पर खाया गया खाना ज्यादा लाभदायक और स्वास्थ्यवर्धक होता है ! केले के पत्ते पर खाए गए खाने के द्वारा हमारे शरीर में पोषक तत्व बढ़ जाता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है। इसलिए केले के पत्ते पर गर्म खाना परोस कर खाना चाहिए।
केले के पत्ते में ग्रीन टी में पाए जाने वाले ऐसे कई सारे गुण होते है जो कि केवल ग्रीन टी में पाए जाते है।
केले के पत्ते में मौजूद पॉलीफिनॉल एक प्राकृतिक एंटीऑक्‍सीडेंट है ; इसके फायदे सीधे हमारे स्वास्थ्य पर होते है। केले के पत्तों में मौजूद एंटी बैक्टीरिया किटाणुओं को मारता है, इसीलिए नियमित रूप से केले के पत्ते पर खाना खाने से हमारे शरीर में कोई असाध्य बीमारी नहीं होती है यह हमारे शरीर से एंटीबैक्टीरिया को खत्म कर देता है जो कि हमारे शरीर को स्वस्थ रखता है, एवं शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, !
केले का पत्ता स्वास्थ्य के साथ-साथ हमारे स्किन के लिए भी फायदेमंद होता है। केले के पत्तों में प्रचुर मात्रा में एपिगालोकेटचीन गलेट और इजीसीजी जैसे पॉलीफिनॉल्स पाये जाते हैं। इसलिए हमें भी केले के पत्तों पर ही भोजन करना चाहिए इससे हमारी स्किन दाग-धब्बा मुक्त चमकदार एवं अच्छी हो जाएगी।
केले के पौधों एवं पत्तों की अपनी एक अलग, अनूठी, खुशबू होती है, प्राचीन काल से इस खुशबू को स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना गया है ! जब कभी हम केले के पत्ते पर  खाना खाते हैं तो हमें एक अलग तरह का स्वाद मिलता है और इस स्वाद की खुशबू भी अलग ही होती है।
केले के पत्‍ते पर प्राकृतिक रूप से वैक्‍स कोटिंग होने के कारण इसका सूक्ष्‍म लेकिन अलग स्‍वाद होता है, गर्म खाना पत्तों पर रखने से इसका वैक्स पिघलता है जो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से खाने को लाभदायक बनाता है।
साथ ही : पर्यावरण के लिए भी केले का पत्‍ता है सही,
आजकल शादियों में आपको सिर्फ प्लास्टिक ही देखने को मिलेगी सिर्फ प्लास्टिक के ही बर्तन मिलेगें जो वर्तमान समय में कैंसर का सबसे बड़ा करण बना हुआ है, जो स्वास्थ के लिए कही से भी सही नहीं है। पर्यावरण के अनुकूल विकल्‍प ढूढ़ने वाले लोगों के लिए केले का पत्ता सबसे अच्‍छा रहता है। यह बहुत ही कम समय में डीकम्पोज होता है और प्‍लास्टिक के विपरीत इसके बायो‍डीग्रेट होने में सैकड़ों वर्ष लग जाते हैं।
हमारे भारतीय समाज में केले के पत्ते पर खाना इसलिए भी खाया जाता है क्योंकि केले का पत्ता स्वच्छ होता है। सिर्फ थोड़े से पानी से साफ करने के बाद यह उपयोग के लिए तैयार हो जाता है। कई जगह ऐसी होती है जहां हम  खाना खाते है पर वहां सफाई नहीं होती है ऐसे में केले के पत्ते पर खाने से सुरक्षा रहती है। ध्यान देने वाली बात है कि : केले का पत्ता केमिकल बिहीन होता है , बर्तनों को कई तरह के साबुन से धोया जाता है जिसमें केमिकल मिला हुआ होता है। जो सेहत के लिए खतरनाक है। लेकिन केले के पत्‍तों को साफ करने के लिए साबुन की जरूरत नहीं होती बस थोड़े से पानी से पत्‍ता आसानी से साफ होता है जो सेहत के लिए सही है।
केले के पत्ते पर खाने में आसानी भी होती है। केले के पत्ते पर सूखा खाना खाएं या ग्रेवी वाला सारा खाना आसानी से उस पर टिका रहता है।
केले के पत्ते पर भोजन करने से हमारे शरीर में शुगर की मात्रा बैलेंस्ड रहती है एवं शरीर के विकास के लिए भी सही होता है, !
मेरा आर्टिकल पढ़कर आप सब अब तक यह तो जान गए होंगे कि : केले के पत्ते पर खाना खाने से दो तरह के फायदे होते है एक तो शरीर को पोषण मिलता है, और दूसरा शरीर को केले के पत्ते से नेचुरल पावर भी मिलती है, इसलिए आप सभी पाठकों से सादर अनुरोध है भोजन के लिए प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल करने की जगह आइए हजार स्वास्थ्य वर्धक गुणों से लबरेज केले के पत्ते पर भोजन करने की प्राचीन परंपरा को पुनः आरंभ करते है, और हजार तरह की बीमारियो से निजात पाते हैं, !
तो चलिए आज से सच करते हैं :
                   "जीवेम शरदः शतम्"
के भारतीय सनातनी आशीर्वचन को, साथ ही साथ अपने कैंपस में लगाते हैं केले का एक-एक पौधा !
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
लेखक : कविता, ग़ज़ल, लेख,
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