भूले बिसरे 🙏

भूले बिसरे हीरो :   पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने एक किताब लिखी थी , "लीडरशिप इन द इंडियन आर्मी " , उसमें  भी इस घटना का जिक्र किया क्योकि उन दिनों वह भी सिक्किम में तैनात थे !  11 sept 67 को चीन ने हमेशा की तरह सिक्किम के नाथु-ला पास से घुसपैठ की कोशिश की , और लाउड स्पीकर से भारतीय सैनिकों को चेतावनी देते हुए कहा कि पीछे हट जाओ अन्यथा1962 की तरह कुचले जाओगे !  दरअसल यहाँ सीमांकन की पहचान के लिए मात्र एक पत्थर लगा था ,जिसके कारण आये दिन ऐसी हरकतें होती रहती थी ! तब उन्होंने भारतीय सीमा पर बंकर बनाने की कोशिश भी की थी !  चीन ने इसी विवाद को बढ़ाते हुए भारत को एक तरह से अल्टीमेटम दिया था की वह नाथु-ला और जेलप-ला चौकियों को फौरन खाली कर दे !वह भविष्य में  पाकिस्तान की मदद करने की दृष्टी से यहाँ स्थाई बंकर बनाना चाहता था !  कोर मुख्यालय के प्रमुख जनरल बेवूर ने लेफ्टिनेंट जनरल सगत राय को इस बाबद अमल करने का आदेश दिया !   ले.जनरल सगत राय ने अपने जनरल से कहा कि नाथु-ला ऊँचाई पर हैं , इसे खाली करने का मतलब यह है की चीन सिक्किम पर नजर रख सकता है ! आपने पहले ही कहा था की नाथु-ला की जिम्मेदारी मेरी है , तो मैं जिम्मेदारी लेते हुए इसे खाली नही कर रहा हूँ !  लेकिन दुर्भाग्यवश उधर 27 माउंटेन डिवीजन ने जेलप-ला चौकी खाली कर दी थी जिस पर फौरन चीन ने कब्जा कर लिया !  बार बार की घुसपैठ को रोकने की दृष्टि से लेफ्टिनेंट जनरल सगत राय ने लोहे की कँटीली बाड़ लगाने का फैसला किया ! जिससे चीन भड़क गया ! ! उस वक्त नाथु-ला में तैनात मेजर जनरल शेरू थपलियाल के अनुसार ,नाथु-ला में धक्का मुक्की की घटना आम होती थी ! चीन की तरफ से उनका राजनैतिक प्रतिनिधि ही थोड़ी बहुत अंग्रेजी समझता था या टूटी फूटी बोल सकता था ! उस दिन की कहासुनी जब धक्का मुक्की में बदल गई तो एक भारतीय सैनिक के धक्के से उस प्रतिनिधि का संतुलन बिगड़ गया और वह गिर पड़ा ! अब गिरने से उसका चश्मा टूट गया !! अब तनाव कम करने के लिए जैसे ही भारतीय सैनिकों ने बाड़ लगाना शुरू किया वैसे बौखलाए चीनियों ने फायरिंग शुरू कर दी !  पूर्व मेजर जनरल रणधीर सिंह ने सगत राय की जीवनी लिखते हुए बताया की जितने भी भारतीय सैनिक बाड़ लगाने के लिए खुले में खड़े थे वह अचानक हमले से सम्हल नही पाये और मारे गए , मारे गए सैनिकों की संख्या 67 थी ! उस समय सीमांत मामलो में तोप के इस्तेमाल की इजाजत भी प्रधानमंत्री से लेना होती थी ! चीनियों का दबाव बढ़ते जा रहा था और ऊपर से कोई आदेश या अनुमति नही आ पाई थी ! ऐसे में सगत राय ने अपनी सर्विस की परवाह न करते हुए बिना समय गँवाये तोप का इस्तेमाल करने का हुक्म दिया ! जिसकी चीनियों को उम्मीद नही थी !   चीन के लगभग चार सौ सैनिक मारे गए ! हालाँकि चीन ने इस मामले में भी भारत पर ही आरोप लगाया था पहले हमले का ! इसी साल एक और जगह चोला में भी चीन ने घुसपैठ की कोशिश की थी जहां उसे करारी शिकस्त मिली थी , और उस लड़ाई को आज  कारगिल की लड़ाई के समकक्ष माना जाता  हैं !  ताज्जुब होता है की इसके बावजूद मीडिया में हमेशा हमे पराजित और चीन को विजेता के रूप में प्रस्तुत किया जाता रहा ! यहाँ तक कि वामी मीडिया भारत को हमलावर के रूप में पेश करता रहा ! इस बारे में कभी मीडिया में ज्यादा चर्चा नही की जाती रही ! क्यों नहीं की जाती , यह विचार  आपके हिस्से में छोड़ रही हूँ !  सैल्यूट तो बनता है जांबाज लेफ्टिनेंट जनरल सगत राय के लिए✌️🙏

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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता