( इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर आरोप सहित गंभीर प्रश्न चिन्ह )

"इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर आरोप सहित गंभीर प्रश्न चिन्ह"
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विवेक तिवारी को मारा गया यह गलत है, यह केवल गलत ही नहीं बल्कि जघन्य अपराध है .......!
लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की रिपोर्टिंग उससे ज़्यादा गलत है, उससे ज़्यादा जघन्य है, सीधा-सपाट-सच कहे तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से एक बार फिर घिन आ रही है।
लगता है इधर कुछ दिनों से कोई बड़ी ख़बर नहीं बनी तो इसी में हर ऐंगल से कुछ भी चलाये जा रहे हैं।
रिपोर्टिंग का फोकस जहाँ सिर्फ गोली मारने की वजह को  हाईलाइट करने पर होना चाहिए, वहाँ फोकस सिर्फ मामले को सनसनीखेज़ बनाने पर है। मृतक की पत्नी और परिवार के मुंह में जबरदस्ती माइक और कैमरा ठूंसे पड़े हैं , मुंह में शब्द नहीं है फिर भी मुंह में शब्द गढ़ चले जा रहे हैं !
P2C स्क्रिप्ट में सिर्फ निरंकुश पुलिस,गन तंत्र,एनकाउंटर सरकार, आला अधिकारी लापरवाह.." जैसे घिसे पिटे शब्द, शर्मनाक स्थिति......
आरोपी सिपाहियों की कहानी सामने लाने पर इतना कम फोकस क्यों ?
देर रात डेढ़ बजे विवेक और उसकी सहकर्मी सना सड़क पर रुके हुए क्यों थे ?
अगर घर छोड़ने जा रहा था विवेक तो गाड़ी क्यों रोकी हुई थी ?
विवेक ने गाड़ी भगाने की कोशिश क्यों की ?
(ये सना की बाइट में है) यही बात सिपाही भी कह रहा है। सिपाही ने किन हालातों में गोली चलाई ?
क्या सिर्फ ऐसी प्रोपेगेंडा वाली पत्रकारिता सही है ?
कुल मिलाकर सौ आना सच कहूं तो हमारे देश में :
" रिपोर्टिंग की ऐसी तैसी कर रही है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इंडस्ट्री।"
आजकल,बीते एक,दो, दिन के लिए मेरा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वालों से एक बड़ा एवं गम्भीर सवाल :
  "वैसे आखिरी बार कब कोई नॉन पोलिटिकल
   डिवेलपमेंट /ख़बर ब्रेक करी थी आपने रिपोर्टर भैया ?
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By Pen :
Bhardwaj Archita

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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

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