" बेहतर होगा की पत्रकार अपना धर्म ना भूले " क्यों कि उत्तर भारतीयों के पलायन एवं गुजरात मुद्दे पर हमारी पत्रकार बिरादरी का उतावलापन इस वक्त देश की शांति व्यवस्था को अस्थिर करने वाला जान पड़ता है ! ================================== यथा : इस मुद्दे पर बेबाक एवं निष्पक्ष एक-दो-शब्द मेरी कलम से मेरे सुधी पाठकों के लिए : ================= गुजरात से उत्तर भारतीयों के पलायन का यह मुद्दा एक करारा तमाचा है उन प्रदेशों के मुंह पर जिन प्रदेशों की सरकारों ने आजादी के बाद अपने यहां केवल जातिवाद का बीज बोकर राजनीति तो किया पर अपने स्थानीय नागरिकों के लिए ना उद्योग धंधे पैदा किए ना काम ..! क्या आपने सोचा है कभी कि महाराष्ट्र और गुजरात से केवल उत्तर भारतीयों को ही क्यों भगाया जाता है ? क्या आपको नहीं लगता आजादी के बाद से अब तक अपने नागरिकों को रोजगार मुहैया कराने हेतु बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार नकारा साबित हुई है ? क्या आप सब ने कभी सोचा है आखिर मध्य प्रदेश, दक्षिण भारत लगायत पंजाब, राजस्थान, गुजरात, प्रदेशों के नागरिक उत्तर भारत एवं बिहार में लेबर गिरी करने क्यों नहीं आते हैं ? क्या कभी आप सबने सोचा है उत्तर प्रदेश एवं बिहार केे ही नागरिक दुबई में दिहाड़ी मजदूरी करने जाने को क्यों मजबूर हैं ? अगले पर उंगली उठाने से पहले हम अखबारी जीव इस पहलू पर क्यों नहीं गौर कर रहे हैं, गंभीर हो रहे हैं कि : यह पलायन 70 सालों में विकास के लिए केंद्र सरकार से समान बजट मिलने के बावजूद भी बिहार एवं उत्तर प्रदेश की सरकार जो अपने स्थानीय नागरिकों के लिए रोजगार के समुचित औसर एवं साधन उपलब्ध नहीं करा पाई उसका दुष्परिणाम है ?? कभी आप सब ने सोचा है महाराष्ट्र एवं गुजरात ने उत्तर भारत से निकले क्लास A-1 के अधिकारियों को क्यों नहीं भागने पर मजबूर किया ? एक निष्पक्ष पत्रकार के चश्मे से जरा देखिए एक यक्ष प्रश्न आपको गहरे तक चोटिल कर जाएगा कि : गुजरात,राजस्थान,महाराष्ट्र, में उत्तर भारत के ही दिहाड़ी मजदूर क्यों अटे पड़े हुए हैं ? कभी आपने सोचा है सऊदी अरब/दुबई से जो दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूर भगाए जाते हैं प्रत्येक वर्ष उनमें से 99% मजदूर उत्तर भारतीय ही क्यों होते हैं ? क्या आप सब को नहीं लगता उत्तर प्रदेश एवं बिहार में शिक्षा, व रोजगार, की जो लचर स्थिति है उसके पीछे 70 साल की प्रदेश सरकार की दमनकारी नीति, घोटाला, केंद्र से मिले बजट को अपने बाप की जागीर समझ कर बंदर बांट करके आपस में हड़पना सबसे बड़ी वजह है भारत के अन्य विकसित प्रदेशों में उत्तर भारतीयों के लिए असहज माहौल पैदा करने के लिए ?? क्या आप सबको नहीं लगता उत्तर भारत के भूत पूर्व एवं वर्तमान मुख्यमंत्रियों से जवाब तलब होना चाहिए कि : देश के सबसे बड़े भूभाग का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्य के पास अपने स्थानीय नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर क्यों उपलब्ध नहीं है जबकि केंद्र सरकार ने आजादी के बाद से अब तक रोजगार उत्पन्न करने के लिए सबसे बड़ा बजट बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य को ही मुहैया कराया ? जवाब तलब किया जाए बिहार एवं उत्तर प्रदेश सूबे के मुखिया से की आखिर पूरे भारत में केवल उत्तर भारत के ही दिहाड़ी मजदूर मजदूरी करने जाने को क्यों विवश है ?? क्यों दोनों प्रदेशों के स्थानीय नागरिक अन्य प्रदेशों की रोटी में सेंधमारी कर रहे हैं ?? इनके अपने घर में इनके लिए रोटी और रोजगार क्यों उपलब्ध नहीं हो सका आजादी के एक लंबे अंतराल के बाद भी ?? 80 सांसद भेजने के बाद भी यूoपीo,बिहार के लोगों को गुजरात, महाराष्ट्र जा कर ही क्यों काम मिलता है, आखिर कुछ तो हमारी प्रदेश सरकार की व्यवस्था में भी कमी है ?? आवश्यकता है कि आज उस कमी पर मंथन हो । -------------------------------------- By Pen : Bhardwaj Archita
" बेहतर होगा की पत्रकार अपना धर्म ना भूले "
क्यों कि उत्तर भारतीयों के पलायन एवं गुजरात मुद्दे पर
हमारी पत्रकार बिरादरी का उतावलापन इस वक्त देश की शांति व्यवस्था को अस्थिर करने वाला जान पड़ता है !
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यथा :
इस मुद्दे पर बेबाक एवं निष्पक्ष एक-दो-शब्द मेरी कलम से मेरे सुधी पाठकों के लिए :
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गुजरात से उत्तर भारतीयों के पलायन का यह मुद्दा एक करारा तमाचा है उन प्रदेशों के मुंह पर जिन प्रदेशों की सरकारों ने आजादी के बाद अपने यहां केवल जातिवाद का बीज बोकर राजनीति तो किया पर अपने स्थानीय नागरिकों के लिए ना उद्योग धंधे पैदा किए ना काम ..!
क्या आपने सोचा है कभी कि महाराष्ट्र और गुजरात से केवल उत्तर भारतीयों को ही क्यों भगाया जाता है ?
क्या आपको नहीं लगता आजादी के बाद से अब तक अपने नागरिकों को रोजगार मुहैया कराने हेतु बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार नकारा साबित हुई है ?
क्या आप सब ने कभी सोचा है आखिर मध्य प्रदेश, दक्षिण भारत लगायत पंजाब, राजस्थान, गुजरात, प्रदेशों के नागरिक उत्तर भारत एवं बिहार में लेबर गिरी करने क्यों नहीं आते हैं ?
क्या कभी आप सबने सोचा है उत्तर प्रदेश एवं बिहार केे ही नागरिक दुबई में दिहाड़ी मजदूरी करने जाने को क्यों मजबूर हैं ?
अगले पर उंगली उठाने से पहले हम अखबारी जीव इस पहलू पर क्यों नहीं गौर कर रहे हैं, गंभीर हो रहे हैं कि : यह पलायन 70 सालों में विकास के लिए केंद्र सरकार से समान बजट मिलने के बावजूद भी बिहार एवं उत्तर प्रदेश की सरकार जो अपने स्थानीय नागरिकों के लिए रोजगार के समुचित औसर एवं साधन उपलब्ध नहीं करा पाई उसका दुष्परिणाम है ??
कभी आप सब ने सोचा है महाराष्ट्र एवं गुजरात ने उत्तर भारत से निकले क्लास A-1 के अधिकारियों को क्यों नहीं भागने पर मजबूर किया ?
एक निष्पक्ष पत्रकार के चश्मे से जरा देखिए एक यक्ष प्रश्न आपको गहरे तक चोटिल कर जाएगा कि : गुजरात,राजस्थान,महाराष्ट्र, में उत्तर भारत के ही दिहाड़ी मजदूर क्यों अटे पड़े हुए हैं ?
कभी आपने सोचा है सऊदी अरब/दुबई से जो दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूर भगाए जाते हैं प्रत्येक वर्ष उनमें से 99% मजदूर उत्तर भारतीय ही क्यों होते हैं ?
क्या आप सब को नहीं लगता उत्तर प्रदेश एवं बिहार में शिक्षा, व रोजगार, की जो लचर स्थिति है उसके पीछे 70 साल की प्रदेश सरकार की दमनकारी नीति, घोटाला, केंद्र से मिले बजट को अपने बाप की जागीर समझ कर बंदर बांट करके आपस में हड़पना सबसे बड़ी वजह है भारत के अन्य विकसित प्रदेशों में उत्तर भारतीयों के लिए असहज माहौल पैदा करने के लिए ??
क्या आप सबको नहीं लगता उत्तर भारत के भूत पूर्व एवं वर्तमान मुख्यमंत्रियों से जवाब तलब होना चाहिए कि : देश के सबसे बड़े भूभाग का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्य के पास अपने स्थानीय नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर क्यों उपलब्ध नहीं है जबकि केंद्र सरकार ने आजादी के बाद से अब तक रोजगार उत्पन्न करने के लिए सबसे बड़ा बजट बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य को ही मुहैया कराया ?
जवाब तलब किया जाए बिहार एवं उत्तर प्रदेश सूबे के मुखिया से की आखिर पूरे भारत में केवल उत्तर भारत के ही दिहाड़ी मजदूर मजदूरी करने जाने को क्यों विवश है ??
क्यों दोनों प्रदेशों के स्थानीय नागरिक अन्य प्रदेशों की रोटी में सेंधमारी कर रहे हैं ??
इनके अपने घर में इनके लिए रोटी और रोजगार क्यों उपलब्ध नहीं हो सका आजादी के एक लंबे अंतराल के बाद भी ??
80 सांसद भेजने के बाद भी यूoपीo,बिहार के लोगों को गुजरात, महाराष्ट्र जा कर ही क्यों काम मिलता है, आखिर कुछ तो हमारी प्रदेश सरकार की व्यवस्था में भी कमी है ??
आवश्यकता है कि आज उस कमी पर मंथन हो ।
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Bhardwaj Archita
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