किसी अदृश्य कांच की दीवार से टकराकर, मेरे हाथ हर बार घायल हो जाते हैं, मैं कितना भी प्रयत्न करूँ तुम्हें छू नहीं पाती हूं , उम्मीद के लिहाफ में मुंह ढककर ऐ जिंदगी यह लुकाछिपी का खेल और कब तक ?? सुनो ! सुनो ना ! क्या मेरे थक जाने से तुम जीत जाओगी ? शायद नही ! फिर भी : सोच कर देख लो जैसी तुम्हारी मर्जी हां इतना जरूर कहूंगी कि : थका हुआ व्यक्ति शायद हारता नही है हां अपनी जीत से दो - चार कदम पीछे जरूर रह जाता है , और यही दो-चार कदम का पिछड़ापन तय कर देता है : द्वंद, प्रतिशोध, तिरस्कार, एवम घृणा की Silicon Valley“ सिलिकॉन वैली ” इस सिलिकॉन वैली का प्रयोग अगर अपनी हार को दूबारा जीत में बदलने के लिए इस्तेमाल कर लिया जाए तो एक मूल्यवान जीत सामने खडी मिलेगी पर अफसोस हारे हुए लोग नाकारात्मकता से कम ही उबर पाते हैं अर्ची !!!
किसी अदृश्य कांच की दीवार से टकराकर,
मेरे हाथ हर बार घायल हो जाते हैं,
मैं कितना भी प्रयत्न करूँ तुम्हें छू नहीं पाती हूं ,
उम्मीद के लिहाफ में मुंह ढककर
ऐ जिंदगी यह लुकाछिपी का खेल और कब तक ??
सुनो ! सुनो ना ! क्या मेरे थक जाने से
तुम जीत जाओगी ?
शायद नही ! फिर भी :
सोच कर देख लो जैसी तुम्हारी मर्जी
हां इतना जरूर कहूंगी कि :
थका हुआ व्यक्ति शायद हारता नही है
हां अपनी जीत से दो - चार कदम
पीछे जरूर रह जाता है ,
और यही दो-चार कदम का पिछड़ापन
तय कर देता है :
द्वंद, प्रतिशोध, तिरस्कार, एवम घृणा की
Silicon Valley“ सिलिकॉन वैली ”
इस सिलिकॉन वैली का प्रयोग अगर
अपनी हार को दूबारा जीत में बदलने के लिए
इस्तेमाल कर लिया जाए तो
एक मूल्यवान जीत सामने खडी मिलेगी
पर अफसोस हारे हुए लोग नाकारात्मकता से
कम ही उबर पाते हैं अर्ची !!!
Comments
Post a Comment