Deportee ( निर्वासित ) Author From Pakistan Tarek Fatah साहब को सुनते हुए मेरी पूरी एक रात गुजर जाएगी मैने कभी कल्पना भी नही किया था अर्ची ! बेबाक सच लिखने और कहने का जज्बा हर किसी की कलम और जुबान में कहां होता है,सच लिखने के लिए एक लेखक की कलम को निर्वासन का दंश भी झेलना पड़ सकता है उद्दाहरण स्वरूप आप इसके पुरजोर गवाह हैं Tarek Fatah साहब !! कद्र करती हूं मैं आपके शब्दों की तटस्थता एवम निष्पक्षता की !!
Deportee ( निर्वासित ) Author From Pakistan Tarek Fatah साहब को सुनते हुए मेरी पूरी एक रात गुजर जाएगी मैने कभी कल्पना भी नही किया था अर्ची !
बेबाक सच लिखने और कहने का जज्बा हर किसी की कलम और जुबान में कहां होता है,सच लिखने के लिए एक लेखक की कलम को निर्वासन का दंश भी झेलना पड़ सकता है उद्दाहरण स्वरूप आप इसके पुरजोर गवाह हैं Tarek Fatah साहब !!
कद्र करती हूं मैं आपके शब्दों की तटस्थता एवम निष्पक्षता की !!
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