जो कबीर जैसा निरपेक्ष एवम पारखी नहीं वह पत्रकार नही अर्ची ! ========== कलम से : भारद्वाज अर्चिता
जो कबीर जैसा निरपेक्ष एवम पारखी नहीं
वह पत्रकार नही अर्ची !
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प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जगत की वर्तमान स्थिति बहुत विभत्स है क्योंकि पत्रकार के नाम पर जो भीड़, जो कोलाहल दिल्ली लगायत दौलताबाद ( भारत के कोने-कोने ) में व्यापा है आजकल उनमें से उंगलियों पर गिन लेने लायक सच्चे पत्रकारों के कुछ एक दो नाम अपवाद स्वरूप छोड़ दिया जाए तो बाकी सब पेशेवर पत्रकार हैं जो अपनी सत्य, निष्ठा, वसूल, ईमानदारी, की दुहाई तो गला फाड़ फाड़ कर देते हैं पर निकलते इसके उलट हैं, किसी न किसी के पिछलग्गू बनकर अपने उस वरद हस्त की आइडियोलॉजी को ही अपनी एवम अपनी कलम की आइडियोलॉजी बना बैठतें हैं ! जिनकी आइडियोलॉजी में ही लोच है उनकी कलम कितनी बेबाक होगी ईश्वर ही जानता है !
आए दिन दो किस्म के पत्रकार टकरा जाते हैं सोशल मीडिया पर एक राजनीति के गलियारे में घुसकर नेताओं को चिकोटी काटने वाले एवम दूसरे नेताओं के साथ सेल्फी लेने वाले बानगी देखिए संलग्न कर रहीं हूं मैं ...
साथ ही इसपर अपने पाठकों के विचार भी चाहती हूं !
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
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