धन्य हो सर्वोच्च न्यायालय जी ! आपके चरण कहां हैं ??

धन्य हो सर्वोच्च न्यायालय जी !
आप के चरण कहाँ हैं ??
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मुझे याद आ रहा है अर्ची वर्ष 2014 में पूरी दुनिया में एक खबर बुध ग्रह ( सबसे तेज गति वाला ग्रह)  की गति से रातों रात वायरल हुई थी कि :
दुनिया में भारत सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश हो गया है, यह खबर हवा हवाई नही थी बल्कि संयुक्तराष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार छनकर, सत्यापित होकर आयी थी !
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था की कुल जनसंख्या के मामले में हालांकि,भारत चीन से पीछे हैं, लेकिन 10 से 24 साल की उम्र के 35.6 करोड़ युवा लोगों के साथ भारत विश्व का सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश है।
उस वक्त अर्थ शास्त्रियों का मानना था कि अपनी बड़ी युवा आबादी के साथ विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक नई ऊंचाई पर जा सकती हैं,
बशर्ते ऐसे देशों की सरकारे इन युवा लोगों की शिक्षा व स्वास्थ्य में भारी निवेश करें और उनके अधिकारों का संरक्षण करें।
द पावर आफ 1.8 बिलियन (1.8 अरब की शक्ति) शीर्ष की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की 28 फीसद आबादी की उम्र 10 से 24 साल है।
मुझे लगता है 2014 से आज तक भारत में एक भी शब्द इस रिपोर्ट के कथन का प्रयोग में नही लाया गया,
एवम युवावों के प्रगति के लिए जो निवेश किया गया वह है 2018 का सर्वोच्च न्यायालय द्वारा "व्यभिचार को जायज ठहराया जाना" है ! इस देश के 70 प्रतिशत युवा भटकाव एवम बेरोजगारी का दंश झेलने को आज की तारीख में फिर से मजबूर कर दिए गए हैं वह भी व्यभिचार की अफीम पिला कर !
अपना फ्रस्ट्रेशन दूर करने के लिए यह 70 प्रतिशत भटके युवा अब तक तो चोरी - चुपके लिहाफ में मुंह डालकर  P-Site पर व्यस्त रहते थे लेकिन अब जब भारत में “व्यभिचार” को धार्मिक संस्कार” जितना महत्व देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने इसपर अपनी कानूनी सहमति की मुहर लगा दिया है तो युवावों के बीच कामचोरी एवम बेकारी के बावजूद एक नया काम बढेगा वह है पहले तो इनके लिए “सनी लियोन” की जगह लिहाफ के अंदर मुंह छुपाकर मल्टी मीडिया सेट तक थी लेकिन अब प्रत्यक्ष रूप से कहीं भी कभी भी, भारत के सभी युवावों के पास अपनी सनी लियोन होंगी क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी जो मिल गई है इसे अब अर्ची !
ऐसी प्रगतिशील सोच को क्या कहें :
पहले ‘लिव इन’ फिर समलैगिकता’ अब ‘व्यभिचार’ जायज कर दिया गया ! तो क्या कुछ समय बाद   ‘बलात्कार’ को भी इस देश में जायज कर कर दिया जाएगा ?? 
कल तक जो भारतीय ‘आर्थिक इलीट’ लुके छिपे ‘स्वापिंग’ का खेल खेलते रहे हैं, (अर्थात सहमति से पार्टनर बदलना - स्वाद बदलने, या बिजनेस डील के लिये, सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हे अब ग्रीन सिग्नल दे दिया है यह कहते हुए कि : जनाब अब लुके-छिपे नहीं मंच पर सार्वजनिक तौर पर खेलिए स्वापिंग का खेल !
लगा था अर्ची कि ‘जेंडर इक्वालिटी’ की चालीसा रटने वाले जज ‘परस्त्रीगामी पुरुष’ की तारीख में ही ‘परपुरुषगामी स्त्री’ को भी सज़ा के दायरे में ले आयेंगे,
पर आप ने एक बार फिर ‘जेंडर इक्वालिटी’ की जीत करवा दिया ! लेकिन समझ में यह नहीं आया कि जो व्यभिचार नहीं है तो इस पर तलाक कैसे ?
कोई दकियानुसी पति अगर परपुरुषगामी पत्नी से खुश हो कर बैकुंठ चला जाये तो पत्नी पर हत्या का केस क्यों चलेगा ???
जय हिंद !

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