तुम आज हंसते हो मेरी फकीरी पर..... हंस लो ! जी भर के हंस लो , यह आज़माइश ना बार - बार होगी, मैं जानती हूं अर्ची ! है ख़बर मेरी रूह को, आज फांकाकसी का दौर है कल फ़ज़ा कुछ और होगी ....,!! रहें हैं मुहब्बत में हम : 'ज़िन्दगी' तेरे वफ़ादार बनके ... तू वफ़ा थी या बेवफ़ा... ख़ुदगर्ज़ अपने जख्मों तक... तुझे समझ न सकी मैं .... ताउम्र यह कश्मकश बरकरार रहेगी, !!! जाओ कर लो किनारा मेरी दुश्वारियों से अर्ची कह-ए-देती हूं तड़प के आज : ना तुमको क़ुरबत में जीत होगी .. ना मुझको फुरक़त में हार होगी..... तुम आज हंसते हो मेरी फ़कीरी पर हंस लो ! जी भर के हंस लो ........ यह आज़माइश ना बार - बार होगी ..!! ======================== कलम से : भारद्वाज अर्चिता
तुम आज हंसते हो मेरी फकीरी पर.....
हंस लो ! जी भर के हंस लो ,
यह आज़माइश ना बार - बार होगी,
मैं जानती हूं अर्ची !
है ख़बर मेरी रूह को,
आज फांकाकसी का दौर है
कल फ़ज़ा कुछ और होगी ....,!!
रहें हैं मुहब्बत में हम :
'ज़िन्दगी' तेरे वफ़ादार बनके ...
तू वफ़ा थी या बेवफ़ा...
ख़ुदगर्ज़ अपने जख्मों तक...
तुझे समझ न सकी मैं ....
ताउम्र यह कश्मकश बरकरार रहेगी, !!!
जाओ कर लो किनारा
मेरी दुश्वारियों से अर्ची
कह-ए-देती हूं तड़प के आज :
ना तुमको क़ुरबत में जीत होगी ..
ना मुझको फुरक़त में हार होगी.....
तुम आज हंसते हो मेरी फ़कीरी पर
हंस लो ! जी भर के हंस लो ........
यह आज़माइश ना बार - बार होगी ..!!
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
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