चल ले चल मुझे वहां अए मेरी जिंदगी जहां बस मैं होऊ, तूं हो, और हो सुकून, अब तो कतराते है लोग यहां .... बहुत सन्नाटा है इस मतलबी जहां में , यहां ढूंढे से भी ना मिले हैं अपना कोई शब्द-शब्द खो गए हैं गीत सारे मेरे .. बिखर गए साज सारे, सुर भी खामोश है तूं ही बता मुझे ! अब तूं ही बता अए जिंदगी इस गुमनाम से सफर पर चली जा रही हूं मैं कहां ! तूं कहां ......! ?? चल ले चल मुझे वहां अए मेरी जिंदगी जहां ..बस ..मैं..होऊं..तूं हो, और..हो सुकून !! साफ मन से जीना चाहूं जीने ना दे यह जहां, रोज - रोज मारे मुझे बे-मौत, मेरे मन की मौत मुझे मरने ना दे यह जहां दस्तूर कैसे हैं बने यहां स्वांग यह किसने है रचा जाने है तूं क्या ..कुछ तो बता ..?? तोड़कर घुटन का भंवर चल ले चल मुझे वहां अए मेरी जिंदगी जहां..बस...मै..होऊं..तूं...हो...और..हो सुकून ..!! सीधे मन की सच्ची सी बात कहूं इस जहां में मुझे जीने ना आया, बस दिल की सुन के - दिल का ही किया है मैंने, वफा करके वफा पर ऐतबार है जताया, यह खुदगर्ज जमाना वफा क्या जाने इसको तो आता बस : वफा पर दांव लगा के हारी बाजी जीत जाना, इस बेवफा जमाने से दूर कहीं ......, चल ले चल मुझे वहां अए मेरी जिंदगी जहां ..बस...मैं..होऊं..तूं..हो..और..हो..सुकून..!! ================================= कलम से : भारद्वाज अर्चिता 26/09/2018 1.30 Am
चल ले चल मुझे वहां अए मेरी जिंदगी
जहां बस मैं होऊ, तूं हो, और हो सुकून,
अब तो कतराते है लोग यहां ....
बहुत सन्नाटा है इस मतलबी जहां में ,
यहां ढूंढे से भी ना मिले हैं अपना कोई
शब्द-शब्द खो गए हैं गीत सारे मेरे ..
बिखर गए साज सारे, सुर भी खामोश है
तूं ही बता मुझे ! अब तूं ही बता अए जिंदगी
इस गुमनाम से सफर पर चली जा रही हूं
मैं कहां ! तूं कहां ......! ??
चल ले चल मुझे वहां अए मेरी जिंदगी
जहां ..बस ..मैं..होऊं..तूं हो, और..हो सुकून !!
साफ मन से जीना चाहूं
जीने ना दे यह जहां,
रोज - रोज मारे मुझे बे-मौत,
मेरे मन की मौत मुझे मरने ना दे यह जहां
दस्तूर कैसे हैं बने यहां
स्वांग यह किसने है रचा
जाने है तूं क्या ..कुछ तो बता ..??
तोड़कर घुटन का भंवर
चल ले चल मुझे वहां अए मेरी जिंदगी
जहां..बस...मै..होऊं..तूं...हो...और..हो सुकून ..!!
सीधे मन की सच्ची सी बात कहूं
इस जहां में मुझे जीने ना आया,
बस दिल की सुन के -
दिल का ही किया है मैंने,
वफा करके वफा पर ऐतबार है जताया,
यह खुदगर्ज जमाना वफा क्या जाने
इसको तो आता बस :
वफा पर दांव लगा के हारी बाजी जीत जाना,
इस बेवफा जमाने से दूर कहीं ......,
चल ले चल मुझे वहां अए मेरी जिंदगी
जहां ..बस...मैं..होऊं..तूं..हो..और..हो..सुकून..!!
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
26/09/2018
1.30 Am
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