अटल कहां डरता है काल से ...??? ==================
अटल कहां डरता है काल से ...???
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जो सत्य है अर्ची ! वही अटल है,
और ! अटल कहां डरता है काल से !
बालपन में ही ! अमरत्व का
जिसने घुट्टी में पान किया हो,
राष्ट्र सरिता में ! जिसने प्रथम स्नान किया हो ,
विनाश के बंजर भूमि में
सृजन के जिसने बीज बोए हो
वह सत्य अटल है,
और अटल कहां डरता है काल से ???
भय तुम आज ! मुझसे परे हटो !
परे हटो ! परे हटो !
क्या तुम्हें सनद नही :
वह प्रमाणित दस्तावेज है !
काल के कपाल पर ! अमरत्व लिखने वाला
वह अमिट हस्ताक्षर है ,
आदर्श राजनीति का हिमालय
ऐसे तो ना हिल जाएगा ?
स्वर्ण अक्षरों में राष्ट्र गौरव का इतिहास बनाने वाला
काल के चक्रव्यूह में ऐसे तो न घिर जाएगा ?
वीर पथिक की यात्रा का होता परिणाम् सदैव अटल है ,
और अटल कहां डरता है काल से ?
उठो भारती ! उठो भारती !
अपने आंचल का तनिक उसपर छांह करो,
तुम्हारे आन की खातिर साधे है जिसने :
असंख्य अलक्ष्य - लक्ष्य,
आज तुम्हारा वह अरूण पुत्र निस्तेज हो रहा
सौ, सौ, सूरज का उसमें प्रकाश भरो
है सौंह आज तुम्हें तुम्हारी ममता का
कुछ दिन और उसे दुलार करो..
कह दो नारायण से तुम भारती :
वह भारत का रत्न है !
उसपर न काल का प्रहार करें ,
काल के कपाल पर जो गीत नया लिखता आया है
यह वही चिरन्तन सत्य अटल है,
और अटल कहां डरता है काल से ??
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
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