गीता कहती है वीरम् भोग्ये वसुंधरा ।। यह शास्वत सत्य है, योग्य, वीर और जोखिम उठाने वाले ही राज्य करते हैं। बहुत से ग्रंथ और सभ्यताएं मानती हैं कि दुनिया मे एक ही कानून चलता है वह है जंगल का कानून, यह वही कानून है जिसे कृष्ण ने गीता में "वीरम् भोग्ये वसुंधरा" कहा है। सभ्यताएं और प्रजातियां हमेशा अयोग्य को छाँटती रहीं है और श्रेष्ठ के साथ आगे बढ़ती रहीं है। अयोग्यता हमेशा खत्म की जाती रही है। जंगल के कानून में कमजोर बच्चे को माँ अकेला छोड़ देती है या स्वपोशण के लिए उसे भक्ष्य मान के खा जाती है। आप अयोग्य बच्चे को जंगल मे साथ ले कर नही चल सकते। पर यह लोकतंत्र है यहां एक कहावत है कि प्रजातंत्र के राज में गधा पंजीरी खाएं। यही हो रहा है, मंत्री पुत्र, उनके मित्र या ऐसे लोग जो किसी काम के योग्य नही है वे पंजीरी खा रहे है, क्या आप इन्हें रोक सकते हैं? नही न तो फिर झेलिये और मौज करिये। 🙏
गीता कहती है वीरम् भोग्ये वसुंधरा ।।
यह शास्वत सत्य है, योग्य, वीर और जोखिम उठाने वाले ही राज्य करते हैं।
बहुत से ग्रंथ और सभ्यताएं मानती हैं कि दुनिया मे एक ही कानून चलता है वह है जंगल का कानून, यह वही कानून है जिसे कृष्ण ने गीता में "वीरम् भोग्ये वसुंधरा" कहा है।
सभ्यताएं और प्रजातियां हमेशा अयोग्य को छाँटती रहीं है और श्रेष्ठ के साथ आगे बढ़ती रहीं है।
अयोग्यता हमेशा खत्म की जाती रही है।
जंगल के कानून में कमजोर बच्चे को माँ अकेला छोड़ देती है या स्वपोशण के लिए उसे भक्ष्य मान के खा जाती है।
आप अयोग्य बच्चे को जंगल मे साथ ले कर नही चल सकते।
पर यह लोकतंत्र है यहां एक कहावत है कि प्रजातंत्र के राज में गधा पंजीरी खाएं।
यही हो रहा है, मंत्री पुत्र, उनके मित्र या ऐसे लोग जो किसी काम के योग्य नही है वे पंजीरी खा रहे है, क्या आप इन्हें रोक सकते हैं?
नही न तो फिर झेलिये और मौज करिये। 🙏
साभार :
भारद्वाज अर्चिता
9919353106
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