जिंदगी भर हिन्दी, हिन्दू धर्म,आधे हिन्दुस्तान, को गाली देने एवम उत्तर-दक्षिण के नाम पर भेद भावपूर्ण जहरीली राजीति करने वाले करूणानिधि के निधन पर मेरे जैसा एक सच्चा राष्ट्रवादी आम भारतीय नागरिक जिसका सम्बंध उत्तर भारत से है, कुछ इन यादों के साथ अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहेगा अर्ची : ===================
जिंदगी भर हिन्दी, हिन्दू धर्म,आधे हिन्दुस्तान, को गाली देने एवम उत्तर-दक्षिण के नाम पर भेद भावपूर्ण जहरीली राजीति करने वाले करूणानिधि के निधन पर मेरे जैसा एक सच्चा राष्ट्रवादी आम भारतीय नागरिक जिसका सम्बंध उत्तर भारत से है, कुछ इन यादों के साथ अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहेगा अर्ची :
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““ पोप के करीबी करुणानिधि की प्रवत्ति और राजनीति दोनों ही हिंदी, उत्तर भारतीयों और सनातन से नफरत करने की थी। उन्होंने हर मंच का इस्तेमाल इस नफरत को फैलाने और जमाने के लिए किया।
जब वो तमिल फिल्मों में पटकथा लिखते थे, तब भी उन्होंने अपनी कहानियों में भाषावाद और क्षेत्रवाद के नाम पर तमिलों को उकसाने का प्रयास किया। ये ही काम उन्होंने अपनी राजनीति चलाने के लिए किया। आर्य द्रविड़ की स्क्रिप्ट लिखकर उत्तर भारतीयों को विदेशी लुटेरे बताया। हिंदी का जमकर विरोध किया। स्टेशनों आदि सरकारी स्थानों पर लगे बोर्ड में से हिंदी को काला पेंट करके मिटा दिया गया। हिंदी से नफरत इस कदर तक फैलाई गयी कि पूरे देश में गरीब व ग्रामीण बच्चों के लिए वरदान साबित हुए नवोदय विद्यालयों को भी तमिलनाडु में नहीं खोला गया, कारण था हिंदी का विरोध।
ईसाई पोप से गहरा प्यार रखने वाले करुणानिधि आर्यों के विरोध के नाम पर प्रभु श्री राम को गाली बकते थे। जबकि उनको ये ज्ञान नहीं था कि श्री राम , राजा मनु के वंशज थे और राजा मनु तो दक्षिण भारतीय थे।
हिंदी के प्रति इतनी नफरत फैलायी गयी थी कि अगर कोई उत्तर भारतीय तमिलनाडु में हिंदी में बात करता था तो हिंदी जानने के बाबजूद वो तमिल बंधु हिंदी में जवाब नहीं देता था।
लेकिन करुणानिधि की सालों साल चली सफलता, देश की उस समय की सरकारों पर यह सवाल खड़े करती है, कि : कैसे कोई नफरत कई दशकों तक किसी शख्स या सोच की सफलता की गारंटी बन गया ???
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जय हो !
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