भगत सिंह पर कुछ नया
स्वतंत्रता दिवस का जश्न आज मुझे मेरे भगता ( भगत सिंह ) के जिक्र के बिना अधूरा लग रहा है। आईए मेरे भगता पर संवाद करे कुछ नया रोचक संवाद जिसमें शामिल किया जाए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री आई० के० गुजराल साहब के बचपन 1931 का वह संसमरण जो सत्यापित करता है कि : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री आई०के० गुजराल साहब ने भगत सिंह की चिता को जलते हुए देखा था अर्ची ! तो आईए चलते है भगत सिंह और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल, संस्मरण पर आधारित सत्य की तरफ :
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आज ( 15/08/2018 )जब पूरा देश धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस मना रहा है ऐसे में स्वतंत्रता दिवस का जश्न भगत सिंह के जिक्र के बिना अधूरा सा लगता है।
अंग्रेजों ने भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को फांसी पर लटका दिया था। इतना ही नहीं लोगों के आंदोलन डर से उन्होंने भगत सिंह का चोरी-छिपे अंतिम संस्कार कर डाला। लेकिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने भगत सिंह की चिता को जलते हुए देखा था।
बीबीसी हिंदी में लिखे लेख में पत्रकार विवेक शुक्ला ने भगत सिंह और इंद्र कुमार गुजराल के इस कनेक्शन के बारे में बताया है। विवेक शुक्ला ने लिखा कि इंद्र कुमार गुजराल ने उन्हें इस वाक्ये के बारे में साल 2006 में दिल्ली के दस जनपथ स्थित बंगले में बताया था। इस घटना को बताते हुए गुजराल काफी इमोशनल हो गए थे।
पूर्व पीएम ने विवेक शुक्ला से बातचीत में कहा- मेरे पिता अवतार नारायण गुजराल को कही से मालूम चला कि भगत सिंह को फांसी पर लटकाने के बाद चुपचाप उनके अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली गई है। गुजराल कहते हैं कि जब हम वहां पहुंचे तो काफी लोग मौजूद थे। भगत सिंह की चिता जल रही थी। लेकिन, उन्हें कई देर पहले जला दिया गया था। ऐसे में उनकी चिता की अग्नि कमजोर पड़ थी।
अंत्योष्टि स्थल तक पहुंचने में लगा पौन घंटा पूर्व पीएम के मुताबिक : “मैं उस वक्त काफी छोटा था। मेरे पिता जी अंत्येष्टि स्थल पर जाने के लिए तैयार होने लगे। हमारे अलावा कुछ पड़ोसी भी वहां जाने को तैयार थे। मैं अपने पिताजी के साथ बस से गया। अंत्येष्टि स्थल तक पहुंचने में करीब पौन घंटा लगा था। चिता के पास लोग रो रहे थे।
दरअसल भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी पर लटकाए जाने से लोगों में जबरदस्त गुस्सा था। ऐसे में अंग्रेजी हुकूमत ने चोरी-छिपे उनका अंतिम संस्कार करने का इंतजाम किया था। अंग्रेज सरकार को डर था कि भगत सिंह का शव देखकर लोग भड़क सकते हैं।
देश के 12वें पीएम थे इंद्र कुमार गुजराल !
वह संयुक्त मोर्चे की सरकार में साल 1997 में पीएम बने थे। हालांकि,उनका कार्यकाल लगभग एक साल रहा था। 1931 में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। पुलिस ने उनको झेलम में युवा बच्चों के आन्दोलन का नेतृत्व करने के लिए गिरफ्तार कर लिया था।
भारत के प्रधानमंत्री बनने से पहले श्री गुजराल 1 जून 1996 से विदेश मंत्री रह चुके थे और 28 जून 1996 को उन्होंने जल संसाधन मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाला था।
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जय हो !🌅
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