रिंकी तुम तो मेरी दोस्त हो ना ! बस तुम ही तो मेरी दोस्त हो ! चलो मेरे साथ घर-घर खेलो ना रिंकी !! =========================

रिंकी तुम तो मेरी दोस्त हो ना ! बस तुम ही तो मेरी दोस्त हो ! चलो मेरे साथ घर-घर खेलो ना रिंकी !!
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ऐसे तो कोई मेरा शत्रु नही इस दुनिया में अर्ची ! पर सच्चाई यह है कि : बेबाक, सरल,सहज ह्रदय होने के नाते स्वार्थी मित्र भी बहुत नही हैं मेरी जिन्दगी में !
मेरी पहली और आखिरी मित्रता, सच्ची वाली, पक्की वाली, निहस्वार्थ मित्रता जो हुई वह 22 साल की उम्र में अपने तीन साल के भांजे “आर्यन त्रिपाठी ” जिसे मैं बाबू कहती हूं से हुई, मौसी और भांजे की यह मित्रता वाली Bonding अचानक नही हुई जन्म से लेकर उसके 3 साल तक के होने तक मैं उसके हर नखरे उठाने को उसके साथ थी ! कभी रिंकी अपने बाल में दो चोटी बनाओ, कभी कहानी सुनाओ, कभी फूली-फूली पूड़ी और मटर पनीर बनाओ, कभी बाबू भी पढेगा रिंकी के कमरे में , इस बहाने मौसी के पास अड्डा जमाना, कागज की नाव बनाना, डांटने पर दांत काटी करना, मौसी के बाल नोचना, फिर रात में रिंकी पास सोऊंगा रिंकी पास सोऊंगा की जिद करके रात के कुछ घंटे मौसी के पास सोना बंदर भालू राजा रानी की कहानी सुनना,
नाना की गाड़ी पर बैठ कर exam हॉल तक रिंकी को छोड़ने आना और वापस अकेले न जाने की जिद करना,
साम को कॉलेज से घर पहुंचने पर कमरा बंद करके
बाबू और रिंकी का जमकर Cadbury Dairy Milk खाना , आलू पराठा, तरह तरह की पकौड़ी की फरमाईस करना,जो जो काम मम्मी की जानकारी में न हो सके वह सब मौसी के मिली भगत से करना,और मम्मी के हाथों मौसी भांजे दोनो की धुलाई होना, धुलाई के बाद मौसी से लिपट कर रोना, एक हप्ते तक दूर रहने पर रिंकी को 100 बार फोन मिलाना और बीमार पड़ जाना, इतनी सारी वजहें थी हमारी मित्रता के पीछे !
हम दोनों की मित्रता का दिन तय हुआ जिस दिन वह दिन था घर में सोनू चाचा के दोस्तों का आना और पौने तीन साल की उम्र के बाबू का उनसे परिचय, उस परिचय के बाद मम्मी ( मेरी दीदी ) के पास आकर यह कहना मम्मी मेरी दोस्त रिंकी कहां है ?? मम्मी रिंकी मेरी दोस्त है !
फिर रिंकी के पास आकर यह कहना : रिंकी तुम मेरी दोस्त हो ना ! बस तुम ही तो मेरी दोस्त हो ! चलो मेरे साथ घर घर खेलो ना रिंकी !!
आज मेरा भांजा 10 के बोर्ड एग्जाम में 94 percent number लाने वाला topper student है !
biology से 11th करने के साथ ही medical entrance exam की तैयारी में जुटा हुआ है ,
लगता है कभी-कभी मेरा भांजा बड़ा हो गया पर उसके बचपन की यादें कहतीं हैं मां और मौसी के लिए बेटा कभी भी बड़ा नहीं होता ! बाबू ईश्वर से सदैव प्रार्थना है कि : आप नित नयी सफलता के आयाम पर पहुंचो, दुनिया की हर खुशी आपको मिले , आपके सारे सपने सच हों !
आज भी आप ही अपनी रिंकी मौसी के लिए पहले और आखिरी दोस्त हो ! और मौसी के साथ उसका यह दोस्त हमेंशा पहला दोस्त बनकर ही रहेगा ! हमारी दोस्ती में कभी कोई स्वार्थ नही आएगा promise !!
Happy Friendship Day
Love You So Much Beta !!

कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
05/08/2018
09919353106

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