छोटी बात नही है एक हाथ में गीता, एक हाथ में कुरान शरीफ पकड़ लेना और केवल कर्म को ध्येय बनाकर सम्पूर्ण जीवन अपनी मातृभूमि की सतत उन्नति, सतत विकास, के नाम समर्पित कर देना ! यह सामंजस्य तो केवल कोई ए०पी०जे०अब्बदुल कलाम ही कर सकता है अर्ची !! दैनिक जागरण में कार्यरत रहते हुए एक मौका मुझे भी मिला था ! गोरखपुर Stt. Joseph स्कूल का प्रांगण था, बहुत करीब से मिली थी मैं, श्रद्धा इतनी हुई कि : झुक कर उनके पैर छू लिया था मैने और आशिर्वाद रूप में एक मंत्र फूट पड़ा था उनके मुख से मेरे लिए यथा : “ Nothing is Impossible in This World My Dear ” कलम से सादर : भारद्वाज अर्चिता
छोटी बात नही है एक हाथ में गीता, एक हाथ में कुरान शरीफ पकड़ लेना और केवल कर्म को ध्येय बनाकर सम्पूर्ण जीवन अपनी मातृभूमि की सतत उन्नति, सतत विकास, के नाम समर्पित कर देना ! यह सामंजस्य तो केवल कोई ए०पी०जे०अब्बदुल कलाम ही कर सकता है अर्ची !!
दैनिक जागरण में कार्यरत रहते हुए एक मौका मुझे भी मिला था ! गोरखपुर Stt. Joseph स्कूल का प्रांगण था,
बहुत करीब से मिली थी मैं, श्रद्धा इतनी हुई कि : झुक कर उनके पैर छू लिया था मैने और आशिर्वाद रूप में एक मंत्र फूट पड़ा था उनके मुख से मेरे लिए यथा :
“ Nothing is Impossible in This World My Dear ”
कलम से सादर :
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