( वामी सागरिका घोष के विवादित बयान पर सम्पूर्ण देश को समर्पित जवाब मेरा )

“वामी सागरिका घोष के विवादित बयान पर सम्पूर्ण देश को समर्पित जवाब मेरा” 

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“ऐसी स्थिति में निश्चित तौर पर भारत जवाबी कार्यवाही करते हुए वामी सागरिका घोष को अपनी मिसाईलों मे भर देगा ,

तय माने अपनी महबूबा को भारतीय मिसाईलों के मुहाने पर देखकर पाकिस्तान अपने तोप से गायों को ही मुक्त नही करेगा, बल्कि जूता चुराई नेग के रूप में करांची भी भारत को उपहार में दे देगा !

क्योंकि हमारी जांबाज भारतीय सेना का 1965 से अब तक का record पाकिस्तान को धूल में मिलाने का रहा है अर्ची ! 

कान खोलकर सुन लें लाल, पीले, नीले, हरे, काले, भूरे, झंडाबरदार आप चाहे कांग्रेस पार्टी से हों, भारतीय जनता पार्टी से हों, अप्रवासी पाल्य कम्यूनिष्ट पार्टी से हों, अथवां खांची भर दल्ला राजनीतिक पार्टी से हों ! लोकतंत्र में आप सब इतने निरंकुश नही हो कि : 

आप राष्ट्र के सम्मान पर, आस्था पर, सुरक्षा व्यवस्था पर,  अपनी असभ्य भाषा, अपनी मिथ्या जुबान,अपने ओछे चरित्र से प्रहार करो , अगर ऐसा करोगे तो तय मान के चलो, लोकतंत्र प्रणाली में आंख खोलने वाले, सांस लेने वाले, विश्वास रखने वाले, मेरे जैसे प्रत्येक हिन्दुस्तानी को यह अधिकार है कि वह आपकी देशद्रोही जुबान अपने हाथ से खींच ले ! 

देश और सेना पर मजाक बनाने वाले केवल अपराधी है, इन अपराधियों को मंच ना दिया जाए , 

इनकी आवाज को संवाद न दिया जाए , 

यही इनके लिए सही सजा होगी !

जय हिन्द !” 

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विशेष : 

अफसोसजनक यह है कि मैडेम सागरिका घोष दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक भास्कर घोष की सुपुत्री है भास्कर घोष वही जिन्हें भाषा के स्तर पर सभ्यता के दायरे में दूरदर्शन के लिए सेवा देने के लिए जाना जाता रहा है ! 

मैडेम स्वयम कलम और पत्रकारिता की दुनिया से हैं समय समय पर मैडेम को ढेरों तमगे भी मिले हैं इनके  बेटर हाफ होने का सौभाग्य वर्ष्ठ पत्रकार राजदीप देसायी के नाम है फिर ऐसा क्या दे दिया पाकिस्तान ने मैडेम को जो पत्तलकारिता पर उतर आईं यह गम्भीर मुद्दा है, सोचने योग्य मुद्दा है अर्चिता ! ????


कलम से :

भारद्वाज अर्चिता 

09919353106


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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता