(( आकाशवाणी एक यात्रा ))
((आकाशवाणी एक यात्रा ))
आज से 90 साल पहले 23 जुलाई को ही भारत में मुंबई से रेडियो प्रसारण की पहली स्वर लहरी गूंजी थी। रेडियो प्रसारण के 90 बरस प्रसारकों के साथ-साथ श्रोताओं के लिए भी उत्सव के क्षण हैं। प्रसारण की इस मोहक और ऐतिहासिक यात्र में रेडियो ने सफलता के कई आयाम तय किए हैं। भारत में रेडियो प्रसारण का नाम ‘आकाशवाणी’ विश्व भर में विशिष्ट है। इसकी ‘परिचय धुन’ भी अनूठी है जिसके साथ कई आकाशवाणी केंद्रों पर सभा का आरंभ होता है। इस नायाब धुन को 1936 में ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी’ के संगीत विभाग के अधिकारी वॉल्टर कॉफमैन ने कंपोज किया था।
आकाशवाणी के अनूठे नाम की भी दिलचस्प कहानी है। 1924 के आसपास कुछ रेडियो क्लबों ने प्रसारण आरंभ किया था, लेकिन आर्थिक कठिनाइयों के चलते वे ज्यादा समय तक चल नहीं सके। इसके बाद 23 जुलाई 1927 को मुंबई में ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी’ ने अपनी रेडियो प्रसारण सेवा शुरू की। 26 अगस्त 1927 को कोलकाता में भी नियमित प्रसारण शुरू हो गया। रेडियो प्रसारण का उद्घाटन करते हुए तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने कहा था कि भारतवासियों के लिए यह प्रसारण एक वरदान साबित होगा, लेकिन 1930 तक आते-आते इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी दिवालिया हो गई। फिर एक अप्रैल 1930 को ब्रिटिश सरकार ने ‘इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस’ का गठन किया।
इसी दौर में कई रियासतों में रेडियो स्टेशन खोले गए जिनमें मैसूर रियासत के 30 वॉट के ट्रांसमीटर से डॉक्टर एमवी गोपालस्वामी ने रेडियो प्रसारण शुरू किया और उसे नाम दिया आकाशवाणी !! रेडियो प्रसारण से निबद्ध सभी कर्मियों एवं श्रोताओं को 23 जुलाई ' राष्ट्रीय प्रसारण दिवस ' की ढेरों बधाई ।
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