#ज़ी हिंदुस्तान#भारतीय संविधान#मेरे दो टुक सवाल#
#ज़ी हिंदुस्तान #भारतीय संविधान#मेरे दो टुक सवाल#
================================== “महिला पैनलिस्ट मोहतरमा फैज के साथ हुए बुरे बर्ताव के लिए जितना दोशी “मौलाना कासमी” हैं क्या उतना ही दोशी ज़ी हिंदुस्तान चैनल नही है अर्ची ???
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19-20 की अवहेलना के साथ-साथ अपने न्यूज रूम में पैनलिस्ट को बुलाकर उनकी सुरक्षा तय न करना क्या न्यूज चैनल की घोर लापरवाही नही हैं ......????
जिनके पास न आदर्श भाषा है, न मर्यादित कार्यकुशलता क्या निरंकुश और गैरजिम्मेदार होते उन हल्ला बोल न्यूज चैनलों पर ऐक्शन नही लिया जाना चाहिए .....???
ज़ी हिंदुस्तान पर LIVE डिबेट के दौरान मौलाना कासमी बेकाबू हो गए और महिला पैनलिस्ट फैज पर थप्पड़ों की बारिश कर दिए, स्टूडियो से मौलाना को पुलिस पकड़ कर ले गई.......इसमें कोई सक नही दो चार-रोज में मामला रफा-दफा भी हो जाएगा अर्ची !
किन्तु जी हिंदुस्तान पर Live डिबेट के दौरान मौलाना कासमी जिस तरह बेकाबू हुए, अपनी को-पैनलिस्ट मोहतरमा फैज पर थप्पड़ घूसे रशीद किए, उसके बाद मेरे जेहन में यह सवाल उठना लाजमी था कि :
अनुच्छेद 19,20, के दायरे का अतिक्रमण कर के न्यूज चैनल्स जिस तरह लापरवाही एवम बेपरवाही का सूबूत प्रस्तुत कर रहें हैं उसपर हमारे न्यायालय खामोश क्यों हैं .......????
आज समाचार चैनल मछलियों का बाजार बना हुआ है जिसमें प्रोटीन कम है सड़ांध ज्यादा इस बेकाबू होते सड़ांध के पीछे आखिर मुख्य वजह क्या है ?????
आज की तारीख में मौलाना कासमी ने एक सजातिय महिला पैनलिस्ट पर हाथ उठाया तो खबर वायरल कर दी गई क्योंकि बात बिरादरी की है, एक महिला की है,
लेकिन पिछले 10 साल से समाचार चैनलों पर जो अमर्यादित, उ्छृंखल, क्रियाकलाप होते आ रहे हैं,
ग्रुप संवाद एवम मुद्दे विशेष पर बातचीत के दौरान जिस प्रकार कुर्शी - मेज, पानी की बॉटल, जूते - चप्पल चलने लगते हैं, गाली-गलौज, होने लगती हैं , भारतीय संविधान में वर्णित अनुच्छेद 19 एवम 20 क्या किसी न्यूज चैनल को इस तरह के पैनल बैठाने, उग्रता फैलाने, और बंद कमरे मे कैमरे के सामने गाली गलौज करने का अधिकार देता है .....?????
जब कोई न्यूज चैनल, जाति, धर्म, राजनीति, एवम देश से संबंधित किसी गम्भीर मुद्दे पर पैनल बैठाता है, पैनल बुलाता है, तो क्या इस पैनल के लिए वह कोर्ट अथवा अपने शहर के जिलाधिकारी की लिखित अनुमति लेता है ....????
मै पूछती हूं अर्ची ! जब आमंत्रित करके विशेष लोगों को,
विषय विशेषज्ञों, को समाचार चैनल अपनी स्टूडियो में बहस के लिए बुलाते हैं तो क्या बहस में शामिल होने वाले पैनलिस्ट के सुविधा और सुरक्षा की गारंटी तय करना इन न्यूज चैनलों की जिम्मेदारी नही है ....????
अपने दायित्व के प्रति उदासीन,गैरकानूनी तरीके से कार्यक्रम आयोजित करने, एवम पैनलिस्ट को बैलेंस करके न रख पाने वाले इन न्यूज चैनलों के प्रति क्या कोई कानूनी कार्यवाही नही होनी चाहिए .....???
क्या भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19-20 का न्यूज चैनल द्वारा अतिक्रमण करना नही रूकना चाहिए ???
कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
09919353106
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