{{ डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी और धारा 370 }}

       {{ डॉ, श्यामाप्रसाद मुखर्जी और धारा 370 }}
=====================================

आज 6 जुलाई है याने-के भारत के घोर राष्ट्रवादी चरित्र नायक “डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी” जी का जन्मदिन ! 

मित्रों जब भी कभी हमारे देश में धारा 370 पर चर्चा होती है तो राष्ट् नायक श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का बलिदान स्मरण हो आता है ! स्मरण हो आता हैं 11 मई 1953 से 23 जून 1953 तक की उन यातनाओं का दर्द जो जम्मू कश्मीर में प्रवेश के समय गिरफ्तार करने के बाद प्रदेश सरकार द्वारा उन्हे दिया गया उनकी अंतिम सांस तक ! इस राष्ट्र पुजारी की गलती सिर्फ इतनी थी अर्ची कि इसने धारा 370 का विरोध करते हुए अपना विचार नेहरू सरकार के सामने रखते हुए केवल इतना कहा था

(( जम्मू कश्मीर के लिए धारा 370 का प्रावधान करके एक देश में दो विधान, एक देश में दो निशान, एक देश में दो प्रधान नहीं चलेंगे !!

Article 370 for Kashmir a Country Cannot Have Two Consitutions, Two Prime Ministers, & Two National Emblems.))

इसके पीछे की वजह साफ थी “नेहरू जी का कश्मीर के लिए धारा 370 का प्रावधान भारत के कई और अन्य प्रदेशों में भी सेख अब्दुल्लाह के द्वारा प्रस्तावित “ the three-nation theory के आधार पर भविष्य में बगावत की वजह बन सकते हैं ( धारा 370 के प्रावधान के समय डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेहरू की कैबिनेट में मंत्री थे इस अप्रत्याशित घटना के बाद ही डॉ०मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया ! धारा 370 के मुद्दे के साथ-साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली और भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के बीच हुए समझौते का विरोध भी एक पुख्ता वजह थी ! 

कभी नेहरू के बेहद अपने रहे श्यामा प्रसाद जी ने इन दोनों घटनाओं के बाद नेहरू से वैचारिक स्तर पर दूरी बना लिया ! इस वैचारिक मतभेद के चलते डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी कांग्रेस से अलग हुए और जम्मू कश्मीर मे 370 के प्रावधान पर जमकर नेहरू के गलत फैसले का कड़ा विरोध किया , कहना गलत ना होगा कि यह विरोध ही जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा उनकी गिरफ्तारी उनको मिली घोर यातना, साजिशन उनकी मौत की वजह बना ! जम्मू कश्मीर में जब तक 370 का प्रावधान जिंदा है BJP Shyama Prasad Mukherjee को अपना आदर्श कहकर डॉक्टर साहब के बलिदान का अपमान करती रहेगी मेरे हिसाब से !) 

370 के प्रवधान के विरोध में डॉ०मुखर्जी ने देश के अन्य प्रदेशों में भविष्य में जिस अराजक मांग उठने पर चिन्ता जताया था उसे आज हम सब देख पा रहें हैं और भारत के कई प्रदेशों में वर्तमान अराजकता और विद्रोह देखकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के कथन सच साबित होते जान पड़ते हैं !! 

अर्ची जब हम बात आदरणीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी की करतें है तो उनकी एक हजार योग्यताएं ज्ञात होती हैं, उद्दाहरण स्वरूप कुछ प्रेसित कर रही हूं : 

1: Dr. Shyama Prasad Mukherjee was the son of Sir Ashutosh Mukherjee Who was Known as Bengal tiger due to his high self-esteem and courage to take the British,  

2: Government Head-on. Shyama Prasad Mukherjee Became the Youngest Vice - Chancellor of Calcutta University At The Age of 33, 

3: He is One of the Reason Why Kolkata Today is Within India and not Pakistan..., 

4: His Political Career Started in the Year 1929 when he Entered the Bengal Legislative Council as A Calcutta University Candidate for the Indian National Congress , 

5: In 1941–42 Under A.K.Fazlul Haqs Progressive Coalition Government He Served as the Finance Minister of Bengal Province. 

6: In 1946 Was Elected As an independent Member of the Constituent Assembly of India , 

7: Along with Jammu Praja Parishad, & along with Hindu Mahasabha Started A Satyagraha Movement to Remove the Provisions ,,

8: 21 October 1951 नेहरू की गलत नीतियों से बगावत के रूप में “जनसंघ पार्टी ” की स्थापना ! 

यही जनसंघ पार्टी आगे चलकर 1980 में “भारतीय जनता पार्टी” के नाम से स्थापित हुई ! जो आज की तारीख में देश के सबसे बड़े दल के रूप में देश का प्रतिनिधित्व कर रही है ! 

डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु एक साजिश बन कर कर रही , जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य में प्रवेश करने पर डॉ. मुखर्जी को 11 मई 1953 को हिरासत में ले लिया। इसके कुछ समय बाद 23 जून 1953 को जेल में उनकी रहस्यमयी मौत हो गई। बताया जाता है कि जेल में उनको प्रताड़ित किया गया। कश्मीर जैसे ठंडे प्रदेश में उनको गर्म कपड़े तक नहीं दिए गए। उनको एक खुले बरामदे में रखा गया। 

डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी को जब  कश्मीर में प्रवेश के समय वहां की सरकार ने गिरफ्तार कर लिया उस समय उनके साथ अटल बिहारी वाजपेयी भी थे। 

डॉ.मुखर्जी की मृत्यु के बाद उनकी मां योगमाया ने पंडित नेहरु को एक पत्र लिखकर अपने बेटे की मृत्यु की जांच करवाने की मांग की थी। लेकिन नेहरु ने उनको लिखा था - मैं इसी सच्चे और स्पष्ट निर्णय पर पहुंचा हूं कि इस घटना में कोई रहस्य नहीं है। नेहरू के पत्र के बाद डॉ.मुखर्जी की मां ने नेहरू को पुन: लिखा था:  “ मैं तुम्हारी सफाई नहीं चाहती, जांच चाहती हूं। तुम्हारी दलीलें थोथी हैं और तुम सत्य का सामना करने से डरते हो। याद रखो तुम्हें जनता के और ईश्वर के सामने जवाब देना होगा। मैं अपने पुत्र की मृत्यु के लिए कश्मीर सरकार को भी जिम्मेदार समझती हूं और उस पर आरोप लगाती हूं कि उसने ही मेरे पुत्र की जान ली। मैं तुम्हारी सरकार पर भी यह आरोप लगाती हूं कि इस मामले को छुपाने और सांठ-गांठ करने का प्रयत्न किया गया है।’” यहां तक की कांग्रेसी सरकार के मुख्यमंत्री डॉ०विधानचंद राय ने भी मुखर्जी की हत्या की जांच सर्वोच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश से करवाने की मांग की थी। कांग्रेस के ही पुरुषोत्तम दास टण्डन ने भी डॉ. मुखर्जी हत्या की जांच की मांग की किन्तु 

परिणाम कुछ न निकला  दूरभाग्यपूूर्ण तो यह है कि 1998 में एवम 2014 मे भाजपा की सरकार केन्द्र में आई पर वह भी डॉ० मुखर्जी के संसय भरी मौत पर जांच के प्रति कांग्रेस सरकार की तरह ही उदासीन एवं गैर जिम्मेदार रही,! ऐसा लगता है अर्ची जैसे डॉ०श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का जनसंघ तक ही ताल्लुक रहा है इस देश से,! 1980 में जिस दिन मुखर्जी जी की जनसंघ पार्टी का नया नामकरण भाजपा कर दिया गया उस दिन से लगायत आज तक केवल इस हुतात्मा के विचारों को सत्ता पर काबिज होने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है ! मै पूछना चाहती हूं वर्तमान केन्द्र सरकार से : कहां है क्रांति का वह तिरंगा झंडा, वह विचारों की ज्वलंत मशाल, 11 मई 1953 को जम्मू कश्मीर में जिसे डॉ०श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने आदरणीय अटल बिहारी बाजपेई को सौंपा था .....?????? 

06 जुलाई 1901 को कोलकाता में जन्में भारत के अमर सपूत डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी को आज उनकी जयंती पर महाप्राण निराला की कविता की दो-एक पंक्तियां समर्पित कर कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं यथा : 


               जिसने मरण को वरा है,

               उसने जीवन भरा है !!


कलम से : 

भारद्वाज अर्चिता

०6/०7/2018



Comments

Popular posts from this blog

“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता