क्या इशारे देती जान पड़ती है अर्ची : वर्ष 1992 क्रिकेट वर्ल्ड कप विजेता कप्तान की सरकार ???
क्या इशारे देती जान पड़ती है अर्ची :
वर्ष 1992 क्रिकेट वर्ल्ड कप विजेता कप्तान की सरकार
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एक अरब पच्चीस करोड़ भारतवासी पिछले कई दिनों से टेलिविजन के सामने आंख गडाए बैठे थे ! सबकी नजर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के चुनाव और चुनाव परिणाम पर ठहरी थी, उदासीरनता के साथ ही सही पर शायद मेरी भी अर्ची ! मैं पाकिस्तान के इस ऐतिहासिक चुनावी मुहिम में आरम्भ से आज तक कुछ अलग ढूंढ रही थी, कुछ अलग तलाश रही थी, पर मेरी तलाश का खांका अंतत: खाली/शून्य ही रहा !
मैं औरों की तरह टीवी न्यूज चैनल के आंकडे और भविष्यवाणियां सुन-सुन कर उतावली नही हो रही थी,
मै उस शख्स की जीत, उसकी विदेश नीति, एवम उस एजेंडे का इंतजार कर रही थी जो भारत के साथ पाकिस्तान की कश्मीर नीति के तहत उदार हो ! खैर
परिणाम जो भी आना था हमारे सामने आज 26/07/2017 को लगभग आ ही गया है !
हमारी कल्पना को प्रामाणिकता की मूहर लग गई है
और चरमपंथ का सुपडा साफ करते हुए पूर्व क्रिकेटर इमरान खान के रूप में एक नई रौशनी पाकिस्तान को मिली है !
किन्तु जिस तरह इमरान खान ने अपनी विदेश नीति, अपनी प्राथमिकताएं, एवम अपनी चुनौतियां गिनाते हुए भारत को पांचवे स्थान पर रखा वह काफी पैनिक है भारत के लिए क्योंकि भारत का यह स्थान चीन, अफगानिस्तान, अमेरिका व सउदी अरब के बाद आता है, वह भी हमारे मीडिया पर नाराजगी दिखाते हुए।
स्थान का यह क्रम हमारे लिए अच्छा है या चिंताजनक यह तो भविष्य बताएगा।
पर इस इल्लेक्शन के पूरे कवरेज एवम घटनाक्रम पर नजर डालते हुए मैने भारत के साथ इमरान की विदेश नीति में कश्मीर मुद्दे पर जो बेबाकी ढूंढनी चाही वह बेहद सन्नाटे में रही !
कहना गलत न होगा कि : यहां भी कश्मीर का जिक्र पुराने ढर्रे पर ही कायम रहते दिखता...है ....???
कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
26/07/2018
27/07/2018
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