{{ लखनऊ के पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा }}
इस देश में यदि किसी विषय पर हंगामा हो जाए तो फिर न्याय की उम्मीद मत करिए। भेड़चाल में अधिक हंगामा करने वाले को जनता सही मानती है और दूसरे को गलत।
ऐसे ही एक हंगामे के कारण लखनऊ के पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्र नप गये जबकि उनके द्वारा पासपोर्ट के आवेदक से सवाल जवाब पूछना उनकी ड्यूटी थी और वह अपना कर्तव्य निभा रहे थे।
लखनऊ की तान्वी सेठ ने नाम बदलने को लेकर अवसरवादिता की सारी हदें पार कर दीं , जब मुस्लिम अनस सिद्दीकी से निकाह करके शादी को इस्लामिक वैद्धता देना था तो "सादिया अनस" हो गयीं और जब पासपोर्ट चाहिए तो तान्वी सेठ हो गयीं।
दरअसल पासपोर्ट बनाने की प्रक्रिया समझे बिना यह फैसला करना कि कौन गलत है यह उचित नहीं।
पासपोर्ट बनवाने के लिए चार चरण से होकर गुजरना पड़ता है।
पहले चरण में आपके अप्वाईनमेन्ट के दस्तावेज और जरूरी दस्तावेज देखने के बाद आपको एक टोकन नंबर दिया जाता है और पासपोर्ट आफिस में शेष प्रक्रिया इसी नंबर के माध्यम से की जाती है।
फिर आपको टेबल A पर टोकन का नंबर आने पर जाना पड़ता है जहाँ का कार्य टाटा कन्सल्टेन्सी सर्विसेस के हवाले है। टेबल A पर आपका पहचान , मार्कशीट और निवास प्रमाण पत्र के दस्तावेज स्केन करके सिस्टम में डाला जाता है और फोटो खीचना तथा बायोमेट्रिक्स का काम पूरा करके डिजिटल प्रक्रिया पूरी की जाती है। काउन्टर A आपके दिए किसी भी जानकारी पर पूछताछ नहीं करता बल्कि जो साक्ष्य आप देते हैं उनको स्केन करके डिजिटल रूप में अगले टेबल B को बढ़ा देता है।
टेबल B पर पासपोर्ट विभाग के जूनियर अधिकारी होते हैं जो आपके दिए डिजिटल दस्तावेजों की जाँच और मिलान आपके ओरिजिनल कागजात से करते हैं। और यदि कोई बहुत बड़ी गलती नहीं हुई तो वह टेबल C को भेज देते हैं।
पासपोर्ट को जारी करने का एप्रूवल टेबल C पर होता है जहाँ वरिष्ठ पासपोर्ट अधिकारी आवेदनकर्ता से सवाल जवाब करता है।
पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्र ने जो सवाल पूछे वह उचित थे क्योंकि तान्वी सेठ ने दस्तावेजों में अपना जो निकाहनामा लगाया वह "शाजिया अनस" के नाम का था।
पासपोर्ट अधिकारी का सवाल पूछना उसकी ड्यूटी थी कि एक व्यक्ति के दो नाम कैसे हो सकते हैं ?
तान्वी सेठ शादी करने के लिए शाजिया तो बन गयीं पर क्या वह उस नये नाम और नये धर्म का सम्मान कर पाईं ?
नहीं , मतलब के लिए मुसलमान बन जाओ मतलब के लिए हिन्दू बन जाओ यह कौन सा धार्मिक विश्वास है ? शाजिया अनस बन गयी थीं तो सारे दस्तावेजों में अपना नाम बदलवा लेतीं जिसकी प्रक्रिया बहुत आसान है।
पासपोर्ट अधिकारी की एक जिम्मेदारी होती है कि वह कोई ऐसा पासपोर्ट ना बना दे जिसका दुरुपयोग हो जाए , नीरव मोदी अलग अलग नाम से 6-6 पासपोर्ट ऐसे ही बनवाकर विदेश घूम रहा है।
अत : कर्तव्यनिष्ठा एवम न्याय की इस लड़ाई में मैं विकास मिश्रा के साथ हूं और उनके साथ हुए अन्याय की कड़ी निंदा करती हूं !!
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