भारत रत्न आदरणीय बाजपेयी जी !!
(( कुछ बात है की हस्ती मिटती नही हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जहां हमारा || ))
भारत के अटल रत्न आज तुम्हारी एक-एक बात याद आ रही है , तुम्हारी चुप्पी बहुत अखर रही है , देश की स्थिति द्रोपदी के साडी समान हो रही है और कौरव की संख्या सौ से सौगुना उपर जा चुकी है , महाभारत में एक दुस्सासन साम्राग्गी द्रौपदी की केश पकड़ भरी सभा में उसे घसीट रहा था , उसे वस्त्र हीन कर रहा था यहां तो असंख्य दुस्सासन भारत माता का वस्त्र उतार रहे है |
काश - काश युग पुरुष एक बार तुम अपनी तंद्रा से पुन: बाहर आ जाते और एक अरब पच्चीस करोड़ को समझा पाते कि : अभी 70 साल ही हुए है आजादी के इतना अनर्थ ना करो आर्याव्रती |
भारत माता का वजूद जिवित रहेगा तभी राजनीति, कूटनीति , और कुर्शी का खेल चलेगा |
कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
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