जिंदगी तुम तो सुबह की एक प्याली चाय जैसी हो !!
जिन्दगी ! तुम तो :
सुबह की पहली - पहली एक प्याली
चाय जैसी हो ,
बेड छोड़ने के बाद
किचेन तक जाने,
जाकर गैस पर
चाय का पानी चढ़ाने,
पानी में चायपत्ती, चीनी, दूध डालने,
उबालने, पकाने,
फिर कप में छानने तक
क्रेज ही क्रेज ,
अचानक चाय भरी कप हाथ में थामें
कहीं खो जाने तक का क्रेज ,
कुछ मिनट बाद खयालों से बाहर निकलना,
ठण्डी हो चुकी चाय पर झूंझलाना
पुनः किचेन की तरफ भागना,
चाय को दूबारा गैस पर चढ़ाना
गरम करना ,
कप में छानना ,
होठों से लगाना,
और यह जानना कि :
दूबारा गरम करने पर
चाय का स्वाद बिगड़ जाता है ,
बिल्कुल जिन्दगी के बिगड़े स्वाद की तरह ||
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
22/०5/2018
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