21 जून योग दिवस
योगेन चित्तस्य पदेन वाचां,
मलं शरीरस्य च वैद्यकेन।
योऽपाकरोत् तं प्रवरं मुनीनां,
पतंजलि प्रांजलिरानतोऽस्मि।।
योग से चित्त का,
पद (व्याकरण) से वाणी का व
वैद्यक से शरीर का मल,
जिन्होंने दूर किया,
उन मुनि श्रेष्ठ पतंजलि को मेरा अंजलि बद्ध होकर नमस्कार !
साथ ही ऋषिवर “आयुर्वेद योग के जनक महर्षि भारद्वाज को ” भी मुझ भारद्वाज अर्चिता का
करबद्ध सादर प्रणाम !!
कलम से :
भारद्वाज अर्वचिता
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